श्रद्धेय डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी आईएएस द्वारा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं के लिए कोरोना काल में समय का सदुपयोग कैसे करें एक खुला पत्र



 बहुत सरल शब्दों में वर्तमान परिस्थितियों का मूल्यांकन करते हुए समय का कैसे सदुपयोग करें किया जाए इसके लिए युवाओं के लिए बहुत ही प्रेरणादायक सार्थक और उपयोगी विचार मंथन


एक आईना भारत 
भरतसिंह राजपुरोहित अगवरी

*IAS जितेंद्र कुमार सोनी सम्प्रति प्रोजेक्ट डायरेक्टर आर. यू. आई.  डी. पी. जयपुर है । कोरोना की इस वैश्विक आपदा के समय स्वास्थ्य, कानून व्यवस्था और अर्थव्यवस्था की तमाम चिंताओं और चिंतन के आयामों के बीच चल रहे लॉकडाउन में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों से अपने साझा कर रहे है मन की बात। 

अभ्यर्थी के लिए तैयारी करते वक़्त चाहे-अनचाहे ऐसे बहुत से सामाजिक और पारिवारिक कार्य, समारोह और औपचारिकताएँ होती हैं जिनमें तैयारी करने वालों का काफ़ी समय व्यतीत हो जाता है। इस बात से भी कई बार फ़र्क़ पड़ता है कि आप की अच्छी रूटीन से तैयारी चल रही थी मगर मामाजी के हमउम्र बेटे की शादी में आप एक-दो दिन लगाकर आए तो वापिस आकर उन दो दिनों का ख़ामियाज़ा यह भुगतना पड़ता है कि पुन: पहले वाला तारतम्य आने में एक सप्ताह लग जाता है। मगर लॉकडाउन के इस लम्बे वकफ़े ने तैयारी करने वालों को क्या दिया है, उस पर बात करते हैं।

आपको किसी भी सामाजिक औपचारिकता जैसे शादी, मरना-परणा, मुहूर्त, अन्य समारोह , दोस्तों की गपशप पार्टियाँ, कैंटीन/ढाबे पर चाय का समय, सिनेमा/मॉल या तफ़रीह या ऐसे ही और कामों में आपका कोई समय ज़ाया नहीं हो रहा है। वाहनों, सभाओं और ड़ीजे का शोर आपको परेशान नहीं कर रहा है। घर पर गाहे-बगाहे कोई आकर तैयारी में व्यवधान नहीं डाल रहा है। जो किसी जगह निजी नौकरी कर रहे हैं, उन्हें भी घर पर तैयारी का अवसर मिल रहा है।
ये वहम भी मिट गया होगा कि मैं तो गाँव या शहर में कोचिंग नहीं कर पा रहा हूँ, फ़लां तो दिल्ली में कोचिंग ले रहा है। अगर किसी आवश्यक सेवा से जुड़े विभाग में सरकारी सेवारत नहीं है तो सरकारी कार्मिक को भी पर्याप्त समय मिल गया है।

 अगर थोड़ा गहराई से समझे तो मुझे लगता है कि लॉकडाउन में बिना व्यवधान के मिले समय, बेसिक इंटरनेट और आपकी मेहनत से आप इस लॉकडाउन अवधि में एक साल के बराबर की तैयारी कर सकते हैं।

'आहत को राहत' देने के जिस मूल मंतव्य और आदर्श लक्ष्य के साथ आप इस सिविल सेवा में आना चाहते हैं, वही गांभीर्य आपको इस 'आफ़त में राहत' दिखा सकता है। 

तैयारी करने वाले अभ्यर्थी के लिए बिना व्यवधान का समय एक वरदान है। अब भी अगर कोई ये कहता है कि उसे समय नहीं मिल पाया परीक्षा की तैयारी के लिए तो यक़ीन मानिए कि उसकी एकाग्रता, अनुशासन और समय-प्रबंधन में ही दिक्कत है और जिसके पास यह नहीं है, उसके लिए फिर सिविल सेवा में जगह भी नहीं है। पढ़िए क्योंकि अगर आपके सपने पूरे नहीं हुए तो ये मलाल जीने नहीं देगा कि समय था आपके पास, लेकिन आप स्वयं ही अस्त-व्यस्त थे ।

हाँ, एक और बात...... जिंदगी की ख़ूबसूरती यही है कि आप जब चाहें, जैसे चाहें, इसमें रंग भर सकते हैं। तो भरिए- उम्मीद के रंग, सपनों को पूरा करने के लिए पसीने के रंग।
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