भीषण गर्मी ऊपर से भीषण आग पर बैठकर गुरू अर्जुनदेव शहीद दिवस मनाया



लाॅकडाउन के समय नियमों का पालन करते हुए मनाया गुरू अर्जुनदेव शहीद दिवस
सिखों के पाँचवे गुरू थे-श्री अर्जुनदेव
एक आइना भारत
संवाददाता प्रकाश इन्दलिया
   नागौर। विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय में पीड़ाग्रस्त गोवंश के बीच महामण्डलेश्वर स्वामी कुशालगिरी महाराज के सानिध्य में गुरू अर्जुन देव शहीदी दिवस मनाया। 
                विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय के व्यवस्थापक श्रवणराम बिश्नोई ने बताया कि गुरू अर्जुन देव शांति के पुंज शहीदों के सरताज, अर्जुन देव को मुगल बादशाह जहांगीर ने अकारण ही शहीद कर दिया। बल्कि गुरू जी को ऐसी यातनाएं दी कि सुनकर रूह कांप जाती है। ये यातनाएं अमानवीय थी।  बादशाह जहांगीर गुरूजी की बढती लोकप्रियता को पसंद नही करता था। उसे यह बात बिल्कुल पंसद नही आई  इसलिए उसने गुरू जी को शहीद करने का फेसला कर लिया।
 
              गुरू अर्जुन देव को लाहोर में आज के दिन 1606 ई. को भीषण गर्मी के दौरान ' यासा व सियासत' कानून के तहत लौहे की गर्म तवी पर बिठाकर शहीद कर दिया गया। यासा व सियास्त के अनुसार किसी व्यक्ति का रक्त धरती पर गिराए बिना उसे यातनाएं देकर शहीद कर दिया जाता है। गुरूजी के शीश पर गर्म-गर्म रेत डाली गई। जब गुरू का शरीर अग्नि के कारण बुरी तरह से जल गया तो गुरू को ठंडे पानी वाले रावी दरिया में नहाने के लिए भेजा गया, जहां गुरूजी का पावन शरीर आलोप हो गया। 
         इस कार्यक्रम के दौरान पंजाब से तेजप्रीत सिंह, संत गोविन्दराम महाराज, गरीबाराम  हरिजन,आसाराम सियोल, श्रवण सेन,दिनेश रावल, लीलाधर लखारा, सुरेन्द्र प्रजापत, जगदीष बिश्नोई, नरपत बेनिवाल, मुकेश सागर, विमलेश गोदारा, लिखमाराम मेघवाल, हरिराम मेघवाल,प्रवीण बिश्नोई, श्रवण ताडा,विष्णु जांगीड़, नत्थुराम मेघवाल इत्यादि मौजूद थे।
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Prakash Indlia
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