सुमनकंवर बालोत बेदाना द्वारा लिखी एक कविता
अमीरों में अमीर अनवरत भागदौड़ में
यह अटल विराम क्यूँ
गरीबों की बदहाली आज बीच राह नीलाम क्यूँ
जिंदगी के कौतूहल में
मचा शांति का कोहराम क्यूँ विज्ञान के दुरुपयोग का जगत भुगत रहा अंजाम क्यूँ संकट के बाजार में इंसानियत बिकती सरेआम क्यूँ
देश सेवा की प्रयासरत
चिकित्सक,पुलिस,स्वच्छता
दुत
फिर तुम बेटा निष्काम क्यूँ अगर नहीं बसता भगवान इंसानों में
तो अस्पताल बने आज चारों धाम क्यूँ
सरकारों पर दोषारोपण के द्वंद में
सहयोग को बढ़ते हाथ गुमनाम क्यूँ
कोरोनावायरस इस विकल-विप्लव पर
अब नहीं लग रही लगाम क्यूँ हे प्रभु निजात पा ले सब महामारी से
यह "सुमन" का ही पैगाम क्यों
सुमनकंवर बालोत बेदाना
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