कामधेनु सेना राष्ट्रीय कार्यालय में मनाई पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जयन्ती

 
अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति का विकास ही पं. दीनदयाल का सपना था: राष्ट्रीय अध्यक्ष
पण्डित दीनदयाल राजनेता होने के साथ-साथ एक पत्रकार और लेखक भी थे: सेन
एक आइना भारत / नागौर
 
कामधेनु सेना के राष्ट्रीय कार्यालय में कामधेनु सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रवण सेन के नेतृत्व में आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक और जनसंघ के सह-संस्थापक पंडित दीन दयाल उपाध्याय की जयन्ती मनाई गई। जयन्ती के अवसर पर सभी कामधेनु सैनिकों ने पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के चित्र पट्ट पर पुष्पमाला पहनाकर पुष्प अर्पित किये।
राष्ट्रीय अध्यक्ष सेन ने बताया कि आज ही के दिन उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा में वर्ष 1916 में पण्डित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म हुआ था, उन्होंने देश को एकात्म मानववाद जैसी प्रगतिशील विचारधारा दी और कहा कि दुनिया को पूंजीवाद या साम्यवाद नहीं, बल्कि मानववाद की जरूरत है. दीनदयाल उपाध्याय का ये भी कहना था कि हिंदू कोई धर्म या संप्रदाय नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्रीय संस्कृति है, पण्डित उपाध्याय राजनेता होने के साथ-साथ एक पत्रकार और लेखक भी थे। उन्होंने ही आरएसएस द्वारा प्रकाशित साप्ताहिक पत्रिका ''पान्चजन्य'' की नींव रखी थी। इस पत्रिका के पहले संपादक देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे।
एकात्म मानववाद के विचारों के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय केवल एक नाम ही नहीं, बल्कि एक विचारधारा थे, उनके विचार आज भी प्रेरणादायक हैं। केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति का विकास ही उनका सपना था। 
इस दौरान कामधेनु सेना के राष्ट्रीय महासचिव दिपेन्द्रसिंह राठौड़, मध्यप्रदेश प्रदेशाध्यक्ष श्रवणपुरी गोस्वामी, रेण ग्राम अध्यक्ष जगदीश बिशनोई, रामूराम जांगू, अशोक ढाका, आशाराम सियोल, रोहिताश सुथार, संजय शर्मा, प्रकाश राव, भैराराम बाना, महेन्द्रसिंह सिसोदिया इत्यादि कामधेनु सैनिक उपस्थित रहे 
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