दिपावली को लेकर कुम्हार समाज के लोग दीपक बनाने की तैयारी में जुटे
एक आईना भारत
चाकसू:-(अशोक प्रजापत) दीपों का पर्व दीपावली जैसे-पास आ रही है लोग अपने-अपने घरों और दुकानों की साफ-सफाई में जुट गए हैं, तो वहीं रोशनी के पर्व को लेकर कुम्हार समाज के लोग इन दिनों मिट्टी के दीए बनाने में व्यस्त है, और दीपक बनाने में पूरा परिवार दिन-रात मेहनत करता नजर आ रहा है। इन्हीं की मेहनत से बनाए चिरागों से दीपावली पर्व पर हर घर रोशनी से जगमगा उठता है। दीपावली पर घर, दुकान व प्रतिष्ठानों में दीपक जलाने का रिवाज पुराना है। ऐसी मान्यता है, कि दीपावली की रात धन की देवी लक्ष्मी भ्रमण करती है, लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए लोग घर दुकान व प्रतिष्ठानों में दीए जला कर रौशन करते हैं। हालांकि पुरानी मान्यताओं के चलते घरों में कम से कम पांच मिट्टी के दीपक लगाने की परंपरा आज भी जीवंत है, और यह परंपरा यूंहि जीवित रहे इसको लेकर प्रतिवर्ष कुम्हार समाज के लोग मिट्टी के दीपक तैयार करते हैं। रोशनी का पर्व दीपावली करीब है, और हर कोई इसे स्पेशल बनाने में लगा हुआ है। दीपावली पर्व का जितना इंतजार नगरवासियों को रहता है, उससे कहीं ज्यादा इंतजार कुम्हार समाज को होता है। क्योंकि यही एकमात्र पर्व उन्हें सालभर की कमाई दे जाता है। इसके बाद केवल गर्मी में ही उनका सीजन होता है। जगदीश प्रजापत बताते हैं, की अकेले इस काम में नहीं जुटते, बल्कि उनके साथ परिवार के अन्य सदस्य भी हाथ बंटाते हैं। कमलेश चक्के पर मिट्टी रखकर उसे आकार देते हैं और घर के अन्य सदस्य इन दीपों को पकाने में मदद करते हैं। तो महिलाएं विभिन्न रंगों से मिट्टी के बर्तनों को सजाने में जुटी हुई हैं कुम्हार समाज के द्वारा मिट्टी के विभिन्न छोटे-बड़े दीपक तैयार किए जाने का कार्य जोरों पर है।
फोटो-बस्सी के सांभरिया गांव में दिपक बनाते कुम्हार
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