साधु बनने के बाद कुटुम्ब परिवार से भिक्षा लेने पहुंचे केशरगिरी महाराज।


एक आईना भारत 
उम्मेदपुर कस्बे के निकटवर्ती डोडियाली ग्रामपंचायत आलावा सी गांव में साधु का भिक्षा कार्यक्रम आयोजित हुआ।
मानाराम देवासी ने बताया की आलावा सी गांव के देवासी समाज में जन्म लेने वाले जाणा जागीर मठ के ब्रह्मलीन मठाधीश लेहरगिरी महाराज के शिष्य एवं जाणा मठ के कोठार महन्त केशरगिरी महाराज साधु बनने के कई वर्षों बाद अपनी जन्म स्थली आलावा सी गांव में अपने कुटुम्ब परिवार के घर भिक्षा लेने पहुंचे। रविवार को सवेरे सात बजे केशरगिरी महाराज के अपने पैतृक गांव में आगमन पर उनके परिवार ने फूल बरसा कर जोरदार स्वागत कर  पलक पावड़े बिछाये तथा घर के द्वार पर भिक्षा देने की रस्म पूरी की गई।घर के द्वार पर उनके छोटे भाई प्रागाराम देवासी के परिवार ने सर्वप्रथम साधु केशरगिरी को भिक्षा अर्पण की । झ्स बीच पूरा परिवार भाव विभोर हो गया तथाआंखो से आंसू छलक पड़े।
उसके बाद उनके पैतृक घर में कुटुम्ब परिवार को आशीवार्द देने का कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम में जाणा जागीर मठ एवं बुढेश्वर महादेव रेवदर के मठाधिश भीमगिरी महाराज, भोमानंदगिरी महाराज,सेवागिरी महाराज रोड़ा मठ, प्रेमगिरी महाराज बुढेश्वर महादेव रेवदर एवं भूरिया बाबा भारूंदा चौकी के नवरंगनाथ महाराज के सानिध्य में आयोजित हुआ। कार्यक्रम में प्रवचन देते हुए जाणा जागीर मठ के मठाधिश भीमगिरी महाराज ने कहा कि जब कोई व्यक्ति साधु बनता हैं तो उनको जीवन में अपने  कुटुम्ब परिवार  वालों से भिक्षा लेने की रस्म पूरी करनी पड़ती हैं उससे ही साधु का जीवन सफल होता है आज मेरे गुरु भाई केशरगिरी ने यह रिवाज निभाया। उन्होने कहा कि निष्काम भक्ति से ही मोक्ष प्राप्ति होती हैं। कार्यक्रम के अंत में सभी को आशीर्वाद दिया। भिक्षा कार्यक्रम के समापन पर केशरगिरी महाराज को परिवार वालों ने जयकारै लगाते हुए विदाई दी और केशरगिरी महाराज ने साधु संतों के साथ जाणा मठ की ओर प्रस्थान किया ।इस अवसर पर मनोहर सिह डोडियाली,सुरेन्दसिह राणावत जाणा,चन्दनसिह,मनोहरसिंह आलावा, भोपाजी गणेशाराम,भूराराम,ओबाराम,मानाराम,प्रागाराम,उमाराम,राजाराम,समेलाराम,सालूडाराम,बलाराम,लालाराम,कालूराम,चौथाराम,जेताराम तथा गोपाराम समेत कई देवासी समाज बंधु मौजूद थे।
केशरगिरी का जीवन परिचय ---- केशरगिरी का वास्तविक नाम रणछोडाराम देवासी था,उसका जन्म 1968 में आलावा गांव के देवासी जाति के करड़ गौत्र परिवार में हुआ पिता का नाम नीम्बाराम ,माता का नाम रकमा देवी था बचपन में माता पिता का छाया उठ गया तब से रणछोडाराम देवासी का मन भक्ति भावना में लीन रहने लगा। रणछोडाराम ने  विवाह नही किया और सांसारिक मोहमाया त्याग कर घर छोड दिया उन्होने वोवेश्वर महादेव झाडोली वीर सिरोही,जाड़ी मठ धानेरा, सांगावेरी मेडा उपरला,हरजी वोवेश्वर महादेव मंदिर, शंखेश्वर महादेव डोडियाली आदि धार्मिक स्थानों पर भक्ति की।
अंत में जाणा जागीर मठ के मठाधिश लेहरगिरी महाराज के शिष्य हो गये तब से  बाल ब्रह्मचारी रणछोडाराम से केशरगिरी नाम रखा गया। तथा स्थायी रूप से यही रहने लगे लेहरगिरी महाराज के ब्रह्मलीन होने पर केशरगिरी महाराज को कोठार महन्त घोषित किया गया तथा अब जाणा जागीर मठ में भक्ति कर रहे हैं।
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