गो चिकित्सालय में धूमधाम से मनाई विश्वकर्मा जयंती
भगवान विश्वकर्मा के पूजा-अर्चना किए बिना कोई भी तकनीकी कार्य शुभ नहीं- महामण्डलेश्वर
एक आईना भारत / प्रकाश इंदलिया
नागौर। विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय में वास्तुशिल्प कौशल में सर्वोच्च एवं सृष्टि के रचियता भगवान विश्वकर्मा की जयंती मनाई।
गो चिकित्सालय के व्यवस्थापक श्रवणराम बिश्नोई ने बताया कि भगवान विश्वकर्मा जयंती पर महामण्डलेश्वर स्वामी कुशालगिरी महाराज, संत इन्द्रजीतसिंह, संत गोविन्दराम महाराज व कथा वाचक पं. चन्द्रप्रकाष षास्त्री के सानिध्य में गो चिकित्सालय के दर्शनार्थ पधारे हुए भक्तो ने विश्वकर्मा जयंती के पावन पर्व पर भगवान विश्वकर्मा के चित्रपट पर विधिवत् मंत्रोच्चारण के साथ पुष्पमाला पहनाकर पूजा-अर्चना की।
विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर ब्रह्मलीन गोसेवी संत दुलाराम कुलरिया व विश्वकर्मा समाज के नागरिकों द्वारा पीड़ित गोवंश हितार्थ 51 हजार रूपये की लागत से 24 कढ़ाई बांटा बनवाकर गोवंश को खिलाया।
महामण्डलेश्वर स्वामी कुशालगिरी महाराज ने श्रद्धालुओं को बताया कि भगवान विश्वकर्मा को निर्माण एवं सजृन का देवता माना जाता है इनके जन्मदिन को विश्व में पहले इंजीनियर के तौर पर देशभर में विश्वकर्मा जयंती के रूप में मनाया जाता है इस पर्व का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व हैै। इसलिए इस दिन उद्योगों, फैक्ट्रियों और हर तरह के मशीन की पूजा की जाती है, विश्वकर्मा ने सृश्टि की रचना में भगवान ब्रह्मा की सहायता की थी, ऐसे में इंजीनियरिंग काम में लगे लोग उनकी पूजा करते है, यह पूजा सभी कलाकारों, बुनकर,शिल्पकारों और औद्योगिक घरानों में की जाती है।
विश्वकर्मा दिवस के दिन पूजा करने से घर और काम में सुख समृद्धि आती है, इस दिन सबसे पहले कामकाज में इस्तेमाल होने वाली मशीनों को साफ करना चाहिए, फिर स्नान करके, भगवान विश्णु के साथ विश्वकर्मा जी की प्रतिमा की विधिवत पूजा करनी चाहिए। इसलिए भगवान विश्वकर्मा के पूजा-अर्चना किए बिना कोई भी तकनीकी कार्य शुभ नहीं माना जाता है, इसी कारण विभिन्न कार्यो में प्रयुक्त होने वाले औजारों, कल-कारखानों में लगी मशीनों की पूजा की जाती है।
इस कार्यक्रम के दौरान विभिन्न जगहों से आये जालोर से मंशा कुमारी सुथार, हनुमानगढ़ से रोहिताष सुथार, डिडवाना से मनीष जांगिड़, जोधपुर से नरपत जांगिड़, पाली से सतीष चैधरी, राहुल चैधरी, श्रवण चैधरी, रोहित चैधरी, मकराना से मनिशा, विक्रमसिंह, प्रेमसिंह राठौड़, हरियाणा से शिवलालजी गोयल, हैदराबाद से महेन्द्र जैन, मथुरा से हरपित गर्ग, बीकानेर से प्रकाषचन्द सुराणा इत्यादि बड़ी संख्या में भक्तगण उपस्थित थे।
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