मनोहर अपहरण मामला
17 मार्च सुमेरपुर में राजपुरोहित समाज का उमडेगा जनसैलाब,सीबीआई जांच के लिए राजपुरोहित समाज करेगा शक्ति प्रदर्शन
हो सकता है ऐतिहासिक धरना प्रदर्शन
एक आईना भारत
खरोकडा / मनोहर अपहरण केस की सीबीआई जांच की मांग को लेकर अखिल राजपुरोहित समाज आज 17 मार्च को सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक सुमेरपुर के नीलकंठ महादेव मंदिर पर राजपुरोहित समाज एक दिवसीय सांकेतिक विशाल धरना प्रदर्शन हैं राजपुरोहित समाज की ज्यादा से ज्यादा भागीदारी बढ़ाने के लिए सुमेरपुर के आस पास राजपुरोहितो के गांव जाकर जनसंपर्क किया। अखिल राजपुरोहित संघर्ष समिति के सदस्यों ने कहा कि इस सांकेतिक धरना प्रदर्शन में महिलाएं भी ज्यादा से ज्यादा संख्या में भाग लेगी। ये धरने के जरिए राजपुरोहित समाज इतिहास रचने जा रहा है जिस तरह से लोगो का समर्थन मिल रहा है ये इस बात की बानगी है कि ये धरना ऐतिहासिक होगा। देश व प्रदेश के कोने कोने से समर्थक इस रैली में पहुंचने के लिए घर से निकल पडे हैं मनोहर को न्याय दिलाने के लिए समाजबंधुयों में काफी आक्रोश दिख रहा है ये रोष पिछले साढे चार साल से मनोहर को न्याय नहीं मिला है ये वो है पिछले पांच महिने से मनोहर अपहरण केस की सीबीआई जांच के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पीडित परिवार, जनप्रतिनिधि,सामाजिक संगठनो ने 600 पत्र लिखकर सीबीआई जांच की सिफारिश कर रहे थे। पर मुख्यमंत्री ने अब तक कोई आश्वासन तक नहीं दिया। हाल ही में विधानसभा सत्र चल रहा है जिसमें सुमेरपुर विधायक जोराराम कुमावत व आहोर विधायक छगन सिंह राजपुरोहित ने मनोहर अपहरण केस की सीबीआई जांच का मामला विधानसभा में भी उठाया। पिछले विधानसभा सत्र में भी दोनो विधायको ने इस मामले को उठाया। ये मामला पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे की सरकार का मामला हैं जिसमे पीडित परिवार को न्याय दिलाने में वसुंधरा सरकार असमर्थ रही थी।अब दो साल से ज्यादा समय गहलोत सरकार को भी हो गया है पर मनोहर को न्याय नहीं मिला है इस केस को साढे चार वर्ष हो चुके हैं पर अब तक दोनो सरकारो ने पीडित परिवार को आश्वासन के अलावा कुछ नहीं दिया है मुख्यमंत्री सर्व समाज व जनप्रतिनिधियों की मांगो को अनदेखा पिछले पांच महिने से कर रहे हैं जिसको लेकर राजपुरोहित समाज में काफी रोष है अब आखिर कार राजपुरोहित व सर्व समाज ने गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है इस दौरान मुख्यमंत्री के नाम उपखंड अधिकारी को ज्ञापन भी सौंपा जायेगा। अखिल राजपुरोहित समाज संघर्ष समिति के सदस्य लगातार गांवो में बैठक बुलाकर 17 मार्च को सुमेरपुर आने के लिए आव्हान कर रहे हैं इसमें पिछले पांच महिने से पत्र लिखकर कर मुख्यमंत्री को मनोहर अपहरण केस की सीबीआई जांच के लिए सिफारिश कर रहे थे लेकिन राज्य सरकार ने समाज व जनप्रतिनिधियों की मांग पर कोई पहल नहीं की है यही वजह है कि सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए जिले में आंदोलन करने की तैयारी में है इसी कडी में 17 मार्च को सुमेरपुर में विशाल धरना प्रदर्शन कर उपखंड अधिकारी को ज्ञापन दिया जायेगा। सोशल मीडिया पर भी अखिल राजपुरोहित समाज संघर्ष समिति ने सर्वसमाज के लोगो को 17 मार्च को सुमेरपुर में अपनी उपस्थित दर्ज कराने की अपील की हैं।
*मनोहर अपहरण की सीबीआई जांच मुख्य मांग*
मनोहर अपहरण मामले की सीबीआई जांच कराके के पीडित परिवार को न्याय दिलाये ये प्रमुख मांग समाज की है अखिल राजपुरोहित समाज संघर्ष समिति के सदस्यों ने कहा कि हमारी सरकार से एक ही मांग हैं और वो है मनोहर अपहरण केस की जांच सीबीआई से कराई जाये ।
*पन्द्रह से बीस हजार लोगो के शामिल होने की संभावना*
मनोहर का अपहरण हुए साढे चार साल हो गया है और अब तक सरकारो की तरफ से सिर्फ आश्वासन ही मिला है इसलिए समाज में काफी रोष है अब समाज सरकार से आर पार की लड़ाई के मूड में है अखिल राजपुरोहित समाज संघर्ष समिति के सदस्य लगातार गांवो में पंचायत बुलाकर भारी संख्या में 17 मार्च को सुमेरपुर आने के लिए आव्हान कर रहे हैं प्रदेश से भी लोगो को सोशल मीडिया के माध्यम से 17 मार्च को सुमेरपुर आने के लिए आव्हान कर रहे हैं जिसके परिणाम स्वरूप देश व प्रदेश से पांच हजार से ज्यादा समाजबंधु शामिल होने की संभावनाएं बतलाई जा रही है।
*क्या है मनोहर अपहरण मामला*
पाली जिले के नेतरा गांव का रहना वाला मनोहर अपहरण 23 नवंबर 2016 को हुआ था। मनोहर सुबह 6 बजे फालना कोचिंग क्लासेस में पढने गया था। स्कूल से पढाई करके 11.30 बजे वापस निकला था कि उसका बीच रास्ते में ही अपहरण हो जाता है उसके बाद नजदीक के फालना थाने में एफ आई आर 152 दर्ज करवाई जाती हैं इस मामले को सर्वप्रथम उप अधीक्षक सुमेरपुर के नेतृत्व में जांच शुरु करते हैं अपहरणकर्ता ने 25 लाख की फिरौती की मांग भी करते हैं फिरौती को लेकर मौके पर पहुंचा भी जाता था। उसके बाद भी अपहरणकर्ता पुलिस और परिवार वालो को घूमराह करता रहता था आखिर में राजपुरोहित समाज व जनप्रतिनिधियों के दबाब के कारण जांच सीआईडी को सौंपी जाती है आज भी पुलिस के हाथ खाली है।
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