गो चिकित्सालय में बरसाणा की प्रसिद्ध लड्डूमार होली खेली गई
नागौर की पावन धरा पर पहली बार होली खेली गई फागोत्सव का हुआ शुभारम्भ
एक आईना भारत /
नागौर। विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय में महामण्डलेश्वर स्वामी कुशालगिरी महाराज व संतो के सानिध्य में सैंकड़ो भक्तों की उपस्थिति में नागौर की धरा पर पहली बार राधारानी की जन्मभूमि बरसाणा (बृज भूमि) की तर्ज पर लड्डूमार होली धूमधाम से खेली गई ।
गो चिकित्सालय के व्यवस्थापक श्रवणराम बिश्नोई ने बताया कि इस कार्यक्रम के नागौर जिले व आस-पास के गांव, नागौर शहर व बाहर के यात्रियों की बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लेकर पुरूषों पर 51 किलों लड्डू बरसाये, जिसमें बूंदी के लड्डू, बेसन के लड्डू व खोआ के लड्डूू ऐसे अनेक प्रकार के लड्डू शामिल थे। लड्डूमार होली खेलने के पश्चात् इन लड्डूओं को लावारिस भटक रहे गोवंश को इक्ट्टा कर उन्हें प्रसाद खिलाया गया। महामण्डलेश्वर ने 'थे खेलो लाल गुलाल- होली नित आवे' का सामुहिक होली का गीत लिया तो वातावरण होली मय हो गया।
इस दौरान फुलचन्द एण्ड पार्टी ने होली के लोक गीतों की प्रस्तुतियां दी
महामण्डलेश्वर ने बताया कि कई गांवों में इस प्रकार की होली फागोत्सव की जानकारी भी नहीं है, यह हमारी लुप्त हो रही भारतीय संस्कृति का एक हिस्सा है, जो मथुरा, बरसाना, गोकुल एवं वृदांवन में यह लड्डूमार होली खेली जाती है। इस संस्कृति को जीवित रखने हेतु यह कार्यक्रम नागौर की धरा पर पहली बार धूमधाम से आयोजित किया गया है। इस लड्डूमार होली के भव्य कार्यक्रम को नागौर-जोधपुर हाईवे पर चल रहे हजारों यात्रियों ने धीमे-धीमे वाहन चलाकर आनन्द लिया तो कुछ विडियो बना रहे थे, कुछ फोटो ले रहे थे, यात्री वाहनों मे बैठे ही झुम-झुमकर आनन्द ले रहे थे।
लड्डूमार होली खेलने की परम्परा की शुरूआत श्री कृष्ण के बालपन से जुड़ी है, जब भगवान श्री कृष्ण और नंद गांव के सखाओं ने बरसाना में होली खेलने का न्योता स्वीकार कर लिया था, तब पहले वहां खुशी में लड्डू की होली खेली गई थी। यही परम्परा आज भी चली आ रही है। इस परम्परा के तहत भक्त पहले राधारानी मन्दिर के सेवायत पर लड्डू फेंकते है और उसके बाद अपने साथ लाए लड्डूओं को एक दूसरे पर फेंकते है और नाचते गाते गुलाल उड़ाते हैं।
इस कार्यक्रम के दौरान विभिन्न जगहों से आये सैंकड़ो की संख्या में भक्तगण उपस्थित थे।
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