दिव्यांग होने के बावजूद भी जसवंत सिंह राजपुरोहित का जज्बा कायम
:जसवंत का एक पैर नहीं, बैसाखी के सहारे 100 किमी रफ्तार से करते हैं गेंदबाजी, भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम से खेल चुके
एक आईना भारत
बैसाखी के सहारे दौड़कर बॉलिंग करते हैं
पाली जिले के रड़ावास निवासी हैं
एक पैर से दिव्यांग होने के बाद भी क्रिकेट को लेकर पाली जिले के रड़ावास निवासी जसवंत सिंह राजपुरोहित का जुनून अन्य खिलाड़ियाें के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है। जसवंत ने क्रिकेट के प्रति खुद काे इतना समर्पित किया कि दिव्यांग होने एवं बैसाखी पर चलने के बाद भी सलामी बल्लेबाज के रूप में खेल रहे हैं।
जालोर के स्थित शाह गेनाजी पूंजाजी स्टेडियम में पिछले पांच दिनों से अखिल भारतीय राजपुरोहित क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन हो रहा है। इस प्रतियोगिता में खेलने के लिए एमसीसी चामुंडा जोधपुर की टीम से पाली के रड़ावास निवासी जसवंत सिंह भी पहुंचे हैं, जिनका खेल देखकर हर कोई आश्चर्यचकित है। एक पैर से सलामी बल्लेबाज के रूप में मैदान में उतरकर सामान्य खिलाड़ियाें की तरह चौके एवं छक्के जड़ रहे हैं। जसवंत बल्लेबाजी के साथ-साथ गेंदबाजी में भी माहिर हैं। बैसाखी के सहारे लंबा रनअप लेकर 100 किमी की रफ्तार से गेंद फेंकते हैं। जालोर में चल रही प्रतियोगिता के पिछले तीन मैचों में जसवंत 108 रन बना चुके हैं।
रिकॉर्ड प्रतियोगिता का अब तक सबसे लंबा 96 मीटर का छक्का भी जसवंत के नाम
अखिल भारतीय राजपुरोहित क्रिकेट प्रतियोगिता हर वर्ष देश के विभिन्न शहराें में आयोजित हाेती है। इस वर्ष यह 16वीं प्रतियोगिता है। आयोजकों के अनुसार पिछले साल सूरत के लालाभाई स्टेडियम में उन्होंने 96 मीटर लंबा छक्का लगाया। यह अब तक हुई प्रतियाेगिताओं में सबसे लंबा छक्का है।
बचपन से था क्रिकेट का शाैक,
जयपुर जाकर क्रिकेट की प्रैक्टिस की और बारीकियां सीखी
पाली जिले के मारवाड़ जंक्शन क्षेत्र के रड़ावास निवासी 28 वर्षीय जसवंत का जन्म से बायां पैर नहीं है। बचपन से ही उन्हें क्रिकेट का शाैक था। इसके लिए उन्होंने जयपुर जाकर क्रिकेट की प्रैक्टिस की और बारीकियां सीखी। वे भारतीय व राजस्थान दिव्यांग क्रिकेट टीम में भी खेल चुके हैं।
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