कोर्ट शादी में माता-पिता की गवाही अनिवार्य की जाए






कोर्ट शादी में माता-पिता की गवाही अनिवार्य की जाए

माता-पिता का घर कोई धर्मशाला नहीं है कि बच्चे  अच्छी परवरिश के साथ बालिग होते ही, हर किसी के साथ भागकर मां बाप की इज्जत मिट्टी में मिला दी जाए। मां- बाप अपनी जीवन की पूरी कमाई बच्चों की शिक्षा और कैरियर बनाने में खर्च कर देते हैं। स्वंय फ़टे, पुराने कपड़े पहनते हैं। स्वयं अच्छा खाना नहीं खाते, स्वयं दूध, घी नहीं खाते, सब कुछ बच्चों के लिए लुटा देते हैं और जब बच्चे बालिग हो कर अपने पैरों पर खड़े हो जाते हैं तो माँ बाप को लात मारकर चंद दिनों के प्रेम झाल में फसकर उन्हें धोखा दे देते है।
मां बाप् को रोता बिलखता छोड़ कर भाग जाते हैं, बेचारे मां बाप का तो धन और धरम सब कुछ लूट जाता हैं। समाज, कुटुंब, गांव में किसी को मुँह दिखाने लायक नहीं रहते और ऐसे माता पिता टेन्शन का शिकार हो कर बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं और आधी उम्र में तड़फ तड़फ कर मर जाते हैं।
वोटों की राजनीति करने वाले नेताओं को सोचना चाहिए। ऐसे भयावह कृत्य पर अंकुश लगा कर मां बाप की बिना सहमति के कोई भी शादी को कानूनी मान्यता नहीं मिलनी चाहिये। कोर्ट में भी ऐसी शादी होती है माता पिता की गवाही को अनिवार्य किया जाना चाहिए।

रचनाकार-
अशोक कुमार पुरोहित
पुर्व सरपंच खानपुर (जसवन्तपुरा)
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