जालोर की शान है सूखे कैर*
सूखे केर की सब्जी के साथ अचार भी बनाया जाता है जो जालौर में 900 से 1000 रुपए किलो में बिकता है
एक आईना भारत / भरतसिंह राजपुरोहित अगवरी
अगवरी राजस्थान समेत मरू प्रदेशों में काजू बादाम से भी महंगे बिकने वाला कैर राजस्थान की प्रमुख औषधीय उत्पाद है। कैर या करीर या केरिया या कैरिया एक मध्यम या छोटे आकार का पेड़ है। यह पेड़ 5 मीटर से बड़ा नहीं पाया जाता है। यह प्राय: सूखे क्षेत्रों में पाया जाता है। यह दक्षिण और मध्य एशिया, अफ्रीका और थार के मरुस्थल में मुख्य रूप से प्राकृतिक रूप में मिलता है। इसमें दो बार फ़ल लगते हैं- मई और अक्टूबर में। इसके हरे फ़लों का प्रयोग सब्जी और आचार बनाने में किया जाता है। इसके सब्जी और आचार अत्यन्त स्वादिष्ट होते हैं। पके लाल रंग के फ़ल खाने के काम आते हैं। हरे फ़ल को सुखाकर उनक उपयोग कढी बनाने में किया जता है। सूखे कैर फ़ल के चूर्ण को नमक के साथ लेने पर तत्काल पेट दर्द में आराम पहुंचाता है। कैर भारत में प्राय: राजस्थान राज्य में पाया जाता हैं। इसमें लाल रंग के फूल आते हैं इसके कच्चे फल की सब्जी बनती हैं जो राजस्थान में बहुत प्रचलित हैं। कैर के पक्के फलों को राजस्थान में स्थानीय भाषा ढालु कहते हैं। ठंडी तासीर वाला कैर छोटे आकार का गोल फल होता है। कैर को बिना सुखाए आचार व सब्जी बनाकर प्रयोग में लिया जाता है। इसे सुखाकर भी इस्तेमाल में लिया जाता है। सूखे कैर के चूर्ण को नमक के साथ लेने पर पेट दर्द में आराम मिलता है।
प्रमुख रूप से पाए जाने वाले क्षेत्र
कैर प्रमुख रूप से जालोर बीकानेर जैसलमेर बाड़मेर जोधपुर पाली जिलों में अधिक संख्या में पाए जाते हैं
इनका कहना
कैर का अचार बहुत ही स्वादिष्ट बनता है लेकिन वर्तमान समय में खैर के पेड़ बहुत ही कम संख्या में पाए जाते हैं जिसका संरक्षण करने की आवश्यकता है
जोग सिंह राजपुरोहित अगवरी
किसान
कैर का अचार तैयार करने में समय ज्यादा लगता है इसलिए इसका अचार बहुत ही महंगा बिकता है यह कार्य पिछले 15 वर्ष से कर रही हु 700 से ₹800 किलो इसका अचार बनाकर बेचा जाता है जिसे प्रवासी लोग बहुत ही ज्यादा खरीदते हैं
सुशीला शर्मा अगवरी
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