आरक्षित वर्ग के हितों हुए कुठाराघात के संबंध में आवश्यक व शीघ्र कार्यवाही करने को लेकर रावण राजपूत समाज लोगों ने ज्ञापन सौंपा




आरक्षित वर्ग के हितों हुए कुठाराघात के संबंध में आवश्यक व शीघ्र कार्यवाही करने को लेकर रावण राजपूत समाज लोगों ने ज्ञापन सौंपा


 जालौर शहर के जालोर मुख्यालय पर आज रावण राजपूत समाज के लोगों ने जिला कलेक्टर को लेकर मुख्यमंत्री , प्रधानमंत्री , राज्यपाल , राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन में बताया कि दिनांक 22.1.2021 पर जालोर जिला स्तरीय छानबीन समिति द्वारा दिये गये आदेश दिनांक 16.6.2021 के विरुद्ध राज्य स्तरीय छानबीन समिति गठित करने तथा जांच प्रारंभ रहने तक उपखण्ड मजिस्ट्रेट आहोर को पद से हटाने बावत । 2 निवेदन प्रगण की ओर से निम्न प्रकार हैं यह है कि जिला स्तरीय छानबीन समिति का आदेश दिनांक 16.6.2021 विधि विरुद्ध होने से खारिज योग्य है । नि उक्त शिकायत प्रार्थना पत्र में जिस उपखण्ड अधिकारी  मारलाराम के विरूद्ध फर्जी अन्य पिछड़ा वर्ग का प्रमाण पत्र जारी करने संबंध में प्रार्थीगण ने शिकायत की थी । उन उपखण्ड अधिकारी द्वारा ही दिनांक 16.6.2021 का आदेश पारित किया गया जो विधि विरूद्ध होने से खारिज योग्य है । क्योंकि कोई भी आरोपित व्यक्ति अपने खिलाफ लगे आरोपों का फैसला स्वयं नहीं कर सकता अर्थात आरोपी भी स्वयं तथा जज भी स्वयं बन जाये तो फैसला क्या होगा , इसकी जानकारी सबको होती है । अर्थात आरोपित व्यक्ति कभी भी अपने विरुद्ध आदेश पारित नहीं करेगा । उपखण्ड अधिकारी आहोर को सदस्य के तौर पर शामिल किया गया । तथा यह है कि जिला स्तरीय छानबीन समिति में आरोपित अधिकारी मासिंगाराम जाट आदेश दिनांक 16.6.2021 पर मासिंगाराम ने अपने हस्ताक्षर कर गदशनी पारित किया जो किसी भी सूरत में न्याय संगत नहीं होने से 3 यारित योग्य है ।  4 यह है कि उक्त शिकायत प्रार्थना पत्र दिनांक 22.1.2021 पेश होने पर श्रीमान जिला कलेक्टर जालोर को उक्त प्रकरण की पुनः निष्पक्ष जांच करने हेतु आदेश पारित करना था । जो न किया जाकर केवल मात्र सीधे छानबीन समिति का गठन कर आरोपित व्यक्ति को सदस्य के तौर पर शामिल कर उक्त आदेश दिनांक 16.6.2021 पारित किया । जो आरक्षित वर्ग के हितों पर कुठाराघात है । तथा विधि विरूद्ध होने से खारिज योग्य यह है कि उक्त शिकायत प्रार्थना पत्र दिनांक 22.1.2021 पेश करने के बाद से ही प्रार्थीगण के ऊपर सबूत पेश करने हेतु भारी दबाव बनाया गया तथा शीघ से शीघ सबूत पेश करने हेतु आदेश दिया गया । दिनांक 9.6 . 2021 को प्रथम बार प्रार्थीगण को बुलाकर सबूत पेश करने हेतु केवल मात्र सात दिन का अवसर दिया गया । जो किसी भी सूरत में जायज नहीं था । इससे छानबीन समिति के पारित आदेश दिनांक 16.6.2021 का प्रार्थीगण को पूर्वाभास हो गया था कि उक्त आदेश दिनांक 16.6.2021 न्याय संगत नहीं रहेगा । क्योंकि प्रार्थीगण को सुनवाई का पूर्ण अवसर नहीं दिया गया । सात दिन की अवधि के अंदर ही आरोपित व्यक्ति ने अपने पक्ष में आदेश पारित करवा दिया । जो अन्य पिछडा वर्ग के हितों पर सीधा सीधा हमला है । यह है कि प्रार्थीगण जांच एजेन्सी नहीं होते हुए भी प्रार्थीगण को जबरन कहा गया कि सबूत लाओ अन्यथा आपके विरुद्ध फैसला कर देंगे । उक्त जांच अथवा अनुसंधान करने का कार्य प्रशासनिक कार्य होता है जो प्रशासनिक अधिकारी अथवा कर्मचारी ही कर सकते है । इसके बावजूद भी उक्त प्रकरण की निष्पक्ष जांच नहीं की गई । केवल मात्र प्रार्थीगण द्वारा पेश दस्तावेजो पर ही एक तरफा फैसला करते हुए आदेश दिनांक 16.6 . 2021 पारित किया गया । अगर उक्त प्रकरण की निष्पक्ष जांच की गई होती तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता । यह है कि यह सर्वविदित है कि भोमिया राजपूत / रजपूत अन्य पिछड़ा वर्ग में नहीं आते है बल्कि सामान्य वर्ग में आते है । इस प्रकार की पूर्व में कई अधिसूचनाएँ भी राज्य सरकार ने समय - समय पर आरक्षित वर्ग के हितों को ध्यान में रखते हुए जारी कर रखी हैं जिसको नजर अंदाज करते हुए आदेश दिनांक 16.6.2021 पारित किया गया जो आरक्षित नियमावली के विरुद्ध होने से खारिज योग्य है । यह है कि जालोर जिले अथवा राजस्थान के किसी भी जिले में भोमिया राजपूत / रजपूत समाज को अन्य पिछडा वर्ग में शामिल नहीं किया गया है । केवल मात्र राजसमंद जिले की तीन तहसीलें राजसमंद , नाथद्वारा व कुंभलगढ को ही कृषक ( करसा ) राजपूत ( खरवड , चदाना , उठड , परमार कडेचा , तलादरा , दीया , गुल , दषाणा ) समाज को अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण अन्य पिछड़ा वर्ग की अधिसूचना सूची क्रमांक 90 के तहत आरक्षण दिया हुआ है । यह है कि अन्य पिछडा वर्ग के संबंध में समय - समय पर जारी की गई अधिसूचनाओं से पूर्णतया स्पष्ट है कि जो रावणा राजपूत अपने नाम के पीछे दरोगा , हजूरी , वजीर , रजपूत , रजोत लिखते हैं उनको ही अन्य पिछडा वर्ग के तहत आरक्षण प्राप्त है । केवल मात्र रजपूत लिख देने मात्र से ही कोई व्यक्ति रावणा राजपूत नहीं हो सकता है । और ना ही केवल मात्र रजपूत लिख देने से ही अन्य पिछडा वर्ग में शामिल हो सकता है । 10- यह है कि उपरोक्त प्रकरण के समान्तर एक प्रकरण सुमेरपुर जिला पाली में हो चुका है । जिसमें आवेदनकर्ता जसोदा कंवर पुत्री मगसिंह पत्नि वीरसिंह जाति रजपूत निवासी उषा पूरी गेट के अन्दर , सुमेरपुर ने अन्य पिछडा वर्ग के प्रमाण पत्र प्राप्त करने हेतु रजपूत जाति उप जाति परमार के नाम से अन्य पिछडा वर्ग प्रमाण पत्र करने बावत आवेदन किया था । तथा जसोदा कंवर को अन्य पिछडा वर्ग प्रमाण पत्र दिनांक 9.4.2007 को जारी किया गया था । जिस पर जिला कलेक्टर पाली के पत्रांक / न्याय / 2009 / 1309-10 दिनांक 18.2.2009 पर तहसीलदार सुमेरपुर द्वारा जांच की गई । तथा बाद जांच जसोदा कंवर को जारी अन्य पिछडा वर्ग जाति प्रमाण पत्र जरिये आदेश दिनांक 5.3.09 के तहसीलदार सुमेरपुर द्वारा खारिज किया गया । उक्त आदेश में कहा गया कि अधिसूचना दिनांक 3.12000 में कम संख्या 11 पर अंकित रावणा राजपूत , दरोगा , हजूरी , वजीर द्वारा अपने नाम के आगे रजपूत ( राजपूत नहीं ) या रजोत ( राजपूत नहीं ) शब्द लिखते है तो उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग का प्रमाण पत्र जारी किया जा सकता है । अन्य जाति का व्यक्ति यदि अपने नाम के आगे रजपूत लिख देते हैं तो भी उन्हें केवल मात्र रजपूत लिख देने से अन्य पिछड़ा वर्ग का लाभ प्राप्त नहीं हो सकता है । उक्त कथन समाज कल्याण विभाग राजस्थान की अधिसूचना 6.8.1994 व 31,2000 से पूर्णतया प्रमाणित है । अर्थात जो लोग जाति से दरोगा , रावणा राजपूत , हजूरी , वजीर है तथा अपने नाम के आगे रजपूत लिखते है तो ही वे अन्य पिछडा वर्ग का प्रमाण पत्र प्राप्त करने के अधिकारी है । उक्त सुमेरपुर प्रकरण में भी आवेदनकर्ता कहीं पर भी यह साबित करने में सफल नहीं हो सकी कि वह जाति से रावणा राजपूल दरोगा , हजूरी , बजीर है । केवल मात्र रजपूत लिख देना ही अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल होने का आधार नहीं है । 11- यह है कि सुमेरपुर तहसील भी राजस्थान में ही है । तथा आहोर तहसील भी राजस्थान में ही है । लेकिन दोनों आदेश विरोधाभासी है । इससे साफ प्रतीत है कि आरक्षित वर्ग के हितों पर गंभीर कुठाराघात अधिकारीगण की मिलीभगत से किया जा रहा है । जो किसी भी सूरत में क्षम्य नहीं है । एक ही राज्य में दो तरह के कानून नहीं हो सकले । तथा कोई भी अधिकारी आरक्षण बाबत अपनी मर्जी माफिक व्याख्या नहीं कर सकता है । 12- यह हैं कि आहोर प्रधान के अन्य पिछड़ा वर्ग प्रमाण पत्र जारी करने व छानबीन समिति के आदेश दिनांक 16.6.2021 पारित करने में उपखण्ड अधिकारी आहोर मासिगाराम ने अपनी मर्जी माफिक आरक्षित वर्ग की अधिसूचना की व्याख्या कर आरक्षित वर्ग के हितों पर कुठाराघात कर फर्जी अन्य पिछड़ा वर्ग प्रमाण पत्र जारी किया है । जिस कारण उपरोक्त प्रकरण की राज्य स्तरीय जांच लंबित रहते उपखण्ड अधिकारी आहोर को पद से हटाया जाना न्याय संगत व आवश्यक है । क्योंकि उक्त पद पर रहत हुए उक्त प्रकरण की जांच प्रभावित की जा रही है । 13- यह है कि भोमिया राजपूत / कृषक राजपूत के आरक्षण बाबत राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर ने डी.बी.सी. पिर्दिनि नंबर 4707/2015 उदाराम 7 बनाम सरकार व अन्य में आदेश दिनांक 5.1.2017 , माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर डी.बी. रिट रिव्यू पिटिशन नंबर 87/2017 उदाराम बनाम सरकार व अन्य में आदेश दिनांक 30.5.2017 , माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर डी.बी. रिट विविध प्रार्थना पत्र 47/2017 मालवी परमार बनाम सरकार व अन्य में आदेश दिनांक 28.7.2017 में स्पष्ट आदेश दिया है कि केवल मात्र राजसमंद जिले की तीन तहसीले- कुम्भलगढ , नाथद्वारा व राजसमंद जिले में ही कृषक ( करसा ) राजपूत ( खरवड , चदाना , उठड , परमार , कडेचा , तलादरा , दीया , गुल , दषाणा ) समाज को अन्य पिछडा वर्ग का आरक्षण अन्य पिछड़ा वर्ग की अधिसूचना सूची क्रमांक 90 के तहत प्राप्त है । 14- यह है कि हाल ही में पंचायत समिति आहोर प्रधान पद हेतु चुनाव हुए है । जिसमें आहोर पंचायत समिति से निर्दलीय प्रत्याशी संतोष कंवर ने जीत प्राप्त की है । आहोर पंचायत समिति प्रधान का पद अन्य पिछडा वर्ग हेतु आरक्षित पद था । जिस पर कोई अन्य पिछड़ा वर्ग का ही व्यक्ति प्रधान बन सकता था । आहोर प्रधान हेतु संतोष कंवर ने अन्य पिछडा वर्ग प्रमाण पत्र पेश कर प्रधान पद हेतु अपनी दावेदारी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पेश की । जिसमें संतोष कंवर ने कांग्रेस प्रत्याशी मंसा को हराकर विजय प्राप्त की । जैसा कि जानकारी तथा दस्तावेजी सबूत हैं संतोष कंवर भोमिया राजपूत अर्थात रजपूत समाज से है जो कि सामान्य वर्ग में आता है , अन्य पिछड़ा वर्ग में नहीं आता है । संतोष कंवर के पीहर पक्ष खींची गोत्र से है । तथा संतोष कंवर के ससुराल वाले राठौड गोत्र से है जो कि सामान्य वर्ग में आते है । संतोष कवर के पीहर तथा ससुराल पक्ष के व्यक्ति भोमिया राजपूत समाज संगठन के कार्यकर्ता व पदाधिकारी है । पूरे जालोर जिले को पता है कि संतोष कंवर के पीहर अथवा ससुराल पक्ष में से कोई भी अन्य पिछड़ा वर्ग में नहीं आता हैं ना ही इनके पीहर अथवा ससुराल पक्ष के किसी व्यक्ति के पास अन्य पिछडा वर्ग से होने का प्रमाण पत्र है । ना ही भोमिया राजपूत अर्थात रजपूत समाज के किसी व्यक्ति के पास अन्य पिछड़ा वर्ग प्रमाण पत्र है । ना ही पूर्व में अथवा वर्तमान में भोमिया राजपूत अर्थात रजपूत समाज के अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रमाण पत्र बनते है । जो कि वर्तमान राज्य सरकार के नोटिफिकेशन / गाईडलाईन से पूर्णतः प्रमाणित है । 15- यह है कि राजस्थान सरकार सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण बाबत अधिसूचना 30 सितम्बर 2013 के तहत राजस्थान राज्य में उपरोक्त गोत्र को अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण दिया गया था । जिस पर उदाराम पुत्र छोलाराम निवासी कुडी भगतासनी हाउसिंग बोर्ड ग्राम पंचायत कुडी पंचायत समिति लूणी , जिला जोधपुर नामक व्यक्ति ने राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर में जरिये डबल बेंच सिविल रिट पिटिशन संख्या 4707/2015 के याचिका दायर की । जो दिनांक 05.01.2017 को निर्णित की गई । जिसमें निर्णय दिया गया था कि उपरोक्त गोत्र को केवल राजसमंद जिले की तीन तहसीलों में ही आरक्षण दिया गया है । अन्य जिलों में दिये गये आरक्षण की अधिसूचना दिनांक 30.9.2013 को अवैध करार दत हुए खारिज किया गया था । उक्त निर्णय के विरुद्ध उच्च न्यायालय अथवा उच्चतम न्यायालय में कोई भी अन्य निर्णय पारित नहीं हुआ है । इस प्रकार साबित है कि भोमिया राजपूत जो अपने नाम के आगे रजपूत लिखते हैं , अन्य पिछड़ा वर्ग में नहीं आते है । 16- यह है कि राज्य सरकार की नवीन अधिसूचना ओबीसी आरक्षण बाबत आज भी जारी है , जिसमें उपरोक्त गोत्र को ओबीसी का आरक्षण नहीं दिया गया है । संतोष कंवर को जो प्रमाण पत्र उपखण्ड मजिस्ट्रेट आहोर ने मिलावट कर जारी किया है वह पूर्व की एक अधिसूचना को बताकर जारी किया गया है जो अधिसूचना भोमिया राजपूत समाज अर्थात रजपूत समाज के लिये नही थी । केवल उन रावणा राजपूत , दरोगा , वजीर , हजूरी जाति के व्यक्तियों के लिये था । जो अपने नाम के आगे रजोत ( राजपूत नहीं ) या रजपूत ( राजपूत नहीं ) लिखते हैं उनके लिये था । जिस अधिसूचना की गलत व्याख्या कर उपखण्ड अधिकारी आहोर ने आहोर प्रधान के पक्ष में फर्जी प्रमाण पत्र जारी किया । 17- यह है कि अन्य पिछड़ा वर्ग अथवा अनुसूचित जाति / जनजाति अथवा अन्य किसी भी आरक्षित वर्ग का कोई प्रमाण पत्र आरक्षण बाबत जारी होता हैं तो वह राज्य सरकार की अथवा केन्द्र सरकार की सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की नवीन अधिसूचना पर जारी होता हैं जबकि उपखण्ड मजिस्ट्रेट आहोर ने राजनैतिक दबाव में तथा मिलावट कर संतोष कंवर के नाम से कानून व राज्य सरकार की नवीन अधिसूचना के परे जाकर फर्जी अन्य पिछडा वर्ग का जाति प्रमाण पत्र जारी किया हैं जो कानूनन न्यायोचित नहीं होने से खारिज योग्य है । 18- यह हैं कि समय - समय पर राज्य सरकार व उच्च न्यायालय द्वारा दिये गये निर्णय व निर्देशों के अनुसार उपरोक्त समाज की अधिसूचित गोत्र अन्य पिछड़ा वर्ग में नहीं है । इस संबंध में जिला प्रशासन जालोर अथवा श्रीमान जिला कलेक्टर जालोर द्वारा ज्ञापन पेश किये जाने के बावजूद भी आज दिन तक निष्पक्ष व उचित जांच उपरोक्त प्रकरण में नहीं की गई केवल मात्र खानापूर्ति करने हेतु छानबीन समिति गठित कर आरोपित व्यक्ति को छानबीन समिति में शामिल कर आदेश दिनांक 16.6.2021 पारित किया है । जबकि जिला कलेक्टर जालोर के पास सक्षम प्रशासनिक जांच एजेन्सी / कमेटी है । लेकिन आज दिन तक श्रीमान जिला कलेक्टर जालोर द्वारा उपरोक्त प्रकरण में जांच नहीं की गई हैं जो कि एक बड़ा सवाल आरक्षित वर्ग के अधिकारों को लेकर पैदा होता है । यदि द्वारा उपरोक्त प्रकरण में जांच करवायी गई होती तो स्वतः ही उक्त प्रमाण पत्र निरस्त करने बाबत आदेश जारी कर दिये गये होते । जैसे कि पूर्व में कृषक राजपूत के प्रमाण पत्र जालोर जिले तथा राजस्थान के कई जिलो में निरस्त किये जा चुके है । आज पूरे जालोर जिले तथा राजस्थान भर में भोमिया राजपूत / रजपूत समाज के अन्य पिछड़ा वर्ग जाति प्रमाण पत्र नहीं बनते है तो केवल मात्र संतोष कंवर के पक्ष में उपखण्ड मजिस्ट्रेट आहोर ने उक्त जाति प्रमाण पत्र कैसे जारी कर दिया । यह एक बड़ा सवाल है जो उपखण्ड मजिस्ट्रेट आहोर तथा अन्य कर्मचारीगण की उक्त प्रमाण पत्र जारी करने में हुई मिलावट को प्रमाणित करता है । 19- यह है कि यह प्रकरण केवल मात्र प्रार्थीगण का ना होकर सम्पूर्ण आहोर पंचायत समिति क्षेत्र के निवासियो व आरक्षित वर्ग के सम्पूर्ण राजस्थान के जनहित से जुडा हुआ है । विशेषकर अन्य पिछड़ा वर्ग के राजस्थान भर के व्यक्तियों से पूर्णरूप से जुडा हुआ है । यदि अन्य पिछडा वर्ग व पंचायत समिति आहोर क्षेत्र के निवासियों के साथ किसी प्रकार का छल अथवा कपट होता है तो उसके विरुद्ध आवश्यक निष्पक्ष जांच किया जाना 20- यह है कि आहोर उपखण्ड अधिकारी द्वारा एक सामान्य वर्ग की जाति नजीर बना दी हैं । जिसके बाद सामान्य वर्ग की बड़ी जाति अन्य पिछडा वर्ग में बैक डोर से कानून व अधिसूचना के विरूद्ध शामिल हो रही है । जिसके लिये सीधे तौर पर आहोर उपखण्ड अधिकारी मासिंगाराम जिम्मेदार हैं जिन्हें राज्य स्तरीय जांच लंबित रहने तक पद से हटाया जाना न्यायोचित है । लिहाजा आरक्षित वर्ग के हितों को लेकर ज्ञापन पेश कर निवेदन है कि उपरोक्त प्रकरण की राज्य स्तरीय छानबीन समिति से जांच करने हेतु व जांच में नेक , ईमानदार सदस्य को शामिल करने हेतु आदेश प्रदान करावें । तथा उपरोक्त प्रकरण की जांच लंबित रहते उपखण्ड अधिकारी आहोर मासिंगाराम को पद से हटाये जाने बाबत शीघ आदेश करावें । इस मौके पर 1- भंवरलाल ओझा पुत्र पुरूषोत्तम ओझा , जाति ब्राह्मण निवासी- बडी ब्रह्मपुरी आहोर तहसील आहोर जिला जालोर दलपतसिंह राठौड पुत्र छगनसिंह जाति रावणा राजपूत निवासी अनोप चौक आहोर , तहसील आहोर जिला जालोर रतनसिंह पुत्र निभुसिंह नागलिया जाति रावणा राजपूत निवासी नैनचंद कोठारी मार्ग आहार तहसील आहोर जिला जालोर रेवतसिंह पुन सारसिंह मांगलिया जाति रावणा राजपूत निवासी- मांगलिया वाल - भाहोराहसील आहोर जिला जालोर आदसिंह पुत्र मदनसिंह जाति रावणा राजपूत निवासी- इन्द्रा कोलोनी , आहार तहसील आहोर जिला जालोर , श्रवण सिंह सिसौदिया ,वर्तमान पता अरिहंत कोलोनी जालौर व पुर्व हरजी गांव तहसील आहोर जिला जालोर , शांतिलाल  आदि मौजूद थे ।
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