भारत की धरती पर संतो की शक्ति से परिवर्तन हुए हैं: नंदलाल जोशी
पाली।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद द्वारा गुरु महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन आॅनलाइन किया गया। विभाग संयोजक पवन पाण्डेय ने बताया कि कार्यक्रम का शुभारंभ कवयित्री तृप्ति पाण्डेय ने परिषद गीत एवं सरस्वती वंदना से किया। मुख्य वक्ता संघ की क्षेत्रीय कार्यकारिणी सदस्य नंदलाल जोशी बाबाजी ने कहा पूर्णिमा के दिन ही महापुरुषों ने जन्म लिया है। सभी पूर्णिमा विलक्षण हैं। पूर्णिमा को ही बजरंगबली, वेदव्यास, वाल्मीकि, गुरुनानक, संत रैदास, मीराबाई सभी के अवतरण हुए है। मूल सत्य की धारा एक ही है। भारत की धरती पर संतो की शक्ति से परिवर्तन हुए हैं। अखिल भारतीय साहित्य परिषद राजस्थान अध्यक्ष डा. अन्नाराम शर्मा ने कहा गुरु का महत्व भारतीय संस्कृति में विशिष्ट स्थान है। शिक्षण एक यांत्रिक प्रक्रिया है शिक्षक का कार्य शिक्षा देना है। असल में गुरु तत्व प्रेम का संदेश देता है गुरु का महात्म्य है वह जीवन को नई दिशा देता है। अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद् प्रोफेसर नरेन्द्र अवस्थी ने कहा हम सभी का परम गुरु ईश्वर है क्योंकि वहां काल की कोई सीमा नहीं है। ईश्वर, गुरु व आत्मा तीनों एक ही तत्व हैं बस नाम भिन्न हैं। अपनी आत्मा को गुरु मानें और भौतिक गुरू की सहायता से अपनी आत्मा को परमात्मा से जोड़ें। जोधपुर प्रांत अध्यक्ष प्रोफेसर नरेन्द्र मिश्र ने स्वागत उद्बोधन एवं संचालन डा. गोविंद सिंह राजपुरोहित ने किया। संगोष्ठी में क्षेत्रीय साहित्य मंत्री डा. अखिलानंद पाठक, डा.विष्णु शर्मा हरिहर, डा. श्रीलाल सुथार, कर्णसिंह बेनीवाल, लालाराम प्रजापत, विजयसिंह माली, राजेन्द्र शर्मा मुसाफिर आदि ने भाग लिया।
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