घुंघट का दबाव डालने से कैसे होगा महिलाओं का विकास ?
मरुधर आईना /
जयपुर एक तरफ हमारे देश की बेटियां ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीत रही है हमारे देश की बेटियां क्रिकेट के क्षेत्र में संगीत के क्षेत्र में नृत्य के क्षेत्र में विदेशों में अपनी पहचान बना रही हैं दूसरी तरफ राजस्थान के अलवर में एक संकीर्ण सोच के पति ने अपनी पत्नी ने घूंघट नहीं निकाला तो उसने गुस्से में अपनी 3 साल की मासूम बिटिया को फेंक कर मार डाला क्या घुंघट इतना जरूरी हो गया है कि हम उसके लिए किसी की जान भी ले ले उस मासूम को क्या पता था तेरी मेरी मम्मी घुंघट नहीं निकालेगी और पिताजी मुझे खत्म कर देंगे
अलवर की बहरोड़ घटना के कारण महिलाओं में है गहरा रोष सभी ने दी अपनी अपनी प्रतिक्रियाएं घटना को बताया निंदनीय
हमारे सनातन संस्कृति में महिलाओं को पूजा जाता है उनका सम्मान किया जाता है दूसरी तरफ जो यह अलवर में घटना हुई है घूंघट को लेकर के बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है 3 साल की बेटी की हत्या कर दी इस घटना से महिलाओं में काफी आक्रोश है समय-समय पर इन घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए सामाजिक तौर पर जागृति लाना बहुत ही जरूरी है
नितिशा शर्मा
सचिव
इनाया फाउंडेशन राजस्थान
आज के समय में महिला किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं है लेकिन एक घुंघट जैसी छोटी सी बात को लेकर छोटी बिटिया को मार देना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है सामाजिक बदलाव लाने की आवश्यकता है आरोपी को दंडित किया जाए
विजयलक्ष्मी राजपुरोहित
विशेष शिक्षिका पलासिया खुर्द
हमारे राजपुरोहित समाज में घुंघट निकालने को हमारी मर्यादा और शान समझते हैं लेकिन किसी के दबाव से घुंघट निकालना या फिर घुंघट नहीं निकलने के कारण महिलाओं के साथ मारपीट करना और उनको परेशान करना बिल्कुल ही गलत है लोगों की सोच में बदलाव लाना बहुत जरूरी है महिलाओं को भी सशक्त होना पड़ेगा
संगीता राजपुरोहित
हमारे राजपूत समाज में घुंघट निकालने को शान समझा जाता है लेकिन किसी के दबाव में घुंघट निकालना या फिर घूंघट नहीं निकालने के कारण परेशान करना या मारपीट करना बहुत ही गलत है ससुराल में बहू के साथ एक बेटी के समान व्यवहार करना चाहिए जिससे रिश्तो का सामंजस्य बना रहे और रिश्तो में कभी खटास पैदा ना हो
सुमन कंवर सोलंकी
छात्रा
बेटियां तो किस्मत वाले होते हैं उनके घर पर ही जन्म लेती हैं लेकिन कुछ असामाजिक तत्व जैसे लोग बेटियों के साथ अत्याचार करते हैं बहु के साथ अत्याचार करते हैं वह बिल्कुल ही गलत है घुंघट निकालने के लिए किसी पर दबाव नहीं बनाना चाहिए मैं अपने घर पर अपनी बहू को अपनी बेटी के समान रखती हूं
कल्पना राजपुरोहित
कवियत्री
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