कविता :- कैलाश ओझा भारतीय सेना प्रचारक की जुबानी




कविता  :-  कैलाश ओझा भारतीय सेना प्रचारक की जुबानी

भेजा जेल भगत सिंह को उल्टी गिनती गोरो की चालू हुई, तब पहली बार 116 दिन की भूख हड़ताल हुई, वो अड़ा रहा था जिसने सपने इंकलाब के देखे थे, उस मूंछ की ताव के आगे घुटने अंग्रेजों ने टेके थे 
साम्राज्यवाद के विरोधी थे वो, भारत मां के थे सच्चे पुजारी नाम था जिनका वीर भगत सिंह युवाओं के दिलों मैं वो है चिंगारी, मेरे सबसे बड़े हीरो
शहीद-ए-आजम वीर भगत सिंह जी के जयंती पर उनको कोटि-कोटि नमन शत शत नमन, आप हमेशा अमर थे ,अमर हो, अमर रहोगे, और हम जैसे युवाओं के दिलों में हमेशा क्रांति घोलते रहोगे
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