संतोष से बढ़कर कोई धन नही, सुखी जीवन के लिए संतोष जरूरी- महामण्डलेश्वर

संतोष से बढ़कर कोई धन नही, सुखी जीवन के लिए संतोष जरूरी- महामण्डलेश्वर

तापड़िया परिवार ने गोहितार्थ की 300 बोरी खळ भेंट

मरुधर आईना / जोधपुर 

जोधपुर। विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय, जोधपुर में स्व. शैलादेवी तरड़ की पुण्य स्मृति में स्वामी परिवार जसरासर (बीकानेर) द्वारा आयोजित महामण्डलेश्वर कुशालगिरी महाराज के सानिध्य में गोहितार्थ भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर कथा वाचिका देवी ममता ने गजेन्द्र मोक्ष की कथा का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि प्रभु का स्मरण, भक्ति कभी व्यर्थ नहीं जाती क्योंकि गजेन्द्र  (हाथी) के पैर को जब सरोवर के मगरमच्छ ने जकड़ लिया था, तब उनके द्वारा पिछले जन्म में किये गए पुण्य व भक्ति ने ही उन्हें बचाया था। देवीजी ने भगवान विष्णु के भीन्न-भीन्न अवतारो के बारे में बताते हुए कहा कि जब-जब अत्याचार, अनाचार, अधर्म और पाप बढ़ता है, तो भगवान धरा पर अवतरित होते है। दैत्यराज महाराज बलि के अहंकार को चकनाचूर करने के लिए विष्णु ने वामन अवतार धरा, रावण के अत्याचारों का संहार करने के लिए भगवान राम ने अवतार लिया जब धरती पर चारों ओर त्राहि-त्राहि मच गई , चारों और अत्याचार, अनाचार का साम्राज्य फैल गया तब भगवान श्रीकृष्ण ने देवकी के आठवें गर्भ के रूप में जन्म लेकर कंस का संहार किया।
कथा के दौरान भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव बडे़ धूमधाम से मनाया गया। जैसे ही भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ तो पुरा पंडाल  'नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की' के जयकारों से गूंज उठा और श्रद्धालुओं ने जमकर नृत्य कर आनंद उठाया। भगवान श्री कृष्ण के वेश में नन्हे बालक के दर्शन के लिए लोग लालायित नजर आये। भगवान के जन्म की खुशी में महिलाएं पीले वस्त्र धारण करके आयी। चतुर्थ दिवस की कथा के प्रसंगानुसार 'वामन अवतार' 'राम दरबार' व 'भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव' की सुंदर मनमोहक सजीव झांकियों का प्रस्तुतिकरण दिया गया।
कथा के दौरान महामण्डलेश्वर ने आधात्मिक प्रवचन देते हुए बताया कि हमें दुसरों के सुख को देकर दुखी नही होना चाहिए, बल्कि संतोष रखना चाहिए । उन्होेंने कहा कि धन के अभाव में भी व्यक्ति के मन में यदि संतोष है तो वह सुखी रह सकता है, क्योंकि ही सबसे बड़ा धन संतोष है। साथ ही संस्था द्वारा चलाये जा रहेे छः मिशनों के बारे में विस्तार से बताया व गौ चिकित्सालय के सात कम्पाउण्डरों का प्रशिक्षण पूर्ण होने पर उन्हें तीन माह का अनुभव प्रमाण पत्र देकर सह सम्मान विदाई दी गयी।    
कथा प्रभारी श्रवण सैन ने बताया कि आज के मुख्य घनश्याम झंवर व उनकी धर्मपत्नी मीरा देवी बने। कथा के मध्य जोधपुर निवासी श्रीनिवास तापड़िया व उनके परिवार का आगमन हुआ उन्होंने पीड़ित गोवंश हितार्थ 300 बोरी खळ भेंट की। इनके अलावा रमेशचन्द्र माली, भोलाराम प्रजापत, रामचन्द्र ओझा, लालसिंह भाटी,रेवन्तसिंह राठौड़, घनश्याम झंवर,लक्ष्मीनारायण शर्मा, नवनीत जैसलमेरिया, श्री गुरूचरण समिति, माधव गौ सेवा समिति व महिला मित्र मंडली ने गोहितार्थ सहयोग किया इन सभी को व्यास पीठ की ओर से सम्मानित किया गया। लाइव कथा के दौरान सुनील शर्मा, संजना मुन्दड़ा, राकेश मुन्दड़ा, गायत्री लढा, शिवप्रकाश शर्मा, प्रेमबाई मेहरा आदि गौ भक्तों ने देश के अलग-अलग कोनो से ऑनलाइन सहयोग किया। कथा विश्राम के दौरान भागवतजी की आरती की गई जिसमें उदयराम स्वामी (कथा आयोजनकर्ता) व संत गोविंदराम महाराज उपस्थित रहे।
कथा श्रवण करने आये बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को चाय,पानी,बूंदी-पकोड़ी व चॉकलेट का प्रसाद दिया गया। 
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