राजस्थान में 60 बड़े माइनिंग एरिया में बजरी खनन के लिए केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने परमिशन जारी कर दी है। प्रदेश में 4 साल बाद अब बजरी की रेट घटेगी। इससे घर और इमारतों का निर्माण सस्ता होगा। साथ ही रियल एस्टेट सेक्टर को बड़ी राहत मिलेगी ।कंस्ट्रक्शन कॉस्ट कम होने से निर्माण और रियलिटी कारोबार में बूम आने की उम्मीद है। नवम्बर 2017 से बजरी खनन पर रोक लगी हुई थी। 4 साल बाद पिछले नवम्बर में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया। जिसमें बजरी खनन से रोक हटाई गई।
अब पर्यावरण मंत्रालय ने भी क्लीयरेंस और परमिशन जारी कर दी है। जिसके बाद पूरे प्रदेश में नदियों से बजरी की लीगल माइनिंग का रास्ता खुल गया है। बजरी की समस्या का भी समाधान हो गया है। अवैध रूप से बजरी कारोबार के दौरान बजरी ट्रक की रेट 80 से 90 हजार रुपए तक पहुंच गए थे। लीगल आने वाली बजरी के दाम 40 फीसदी तक घट सकते हैं। जिससे आम आदमी को अपना घर बनाने पर करीब 2 लाख रुपए तक फायदा हो सकता है।माइंस निदेशक केबी पण्डया ने बताया कि विभाग की ओर से जरूरी औपचारिकताएं पूरी करने कार्यवाही की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। जिसके साथ ही सभी क्षेत्रों में बजरी का वैध खनन शुरु हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एक्सपर्ट एप्रेजल कमेटी की ओर से रिकमंड किए गए सभी 60 केसों में परमिशन जारी हो गई है।
मंशा पत्रों की वैधता 13 महीने से बढ़ाकर 68 महीने हुई
माइंस डिपार्टमेंट के एसीएस डॉ. अग्रवाल ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार बजरी की समस्या से लोगों को राहत दिलाने के लिए सॉल्यूशन खोजने के निर्देश दे रहे थे। पिछले साल 11 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश जारी होने के बाद मुख्यमंत्री की पहल पर राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर खनिज पट्टों के लिए जारी मंशा पत्रों की वैधता को 13 महीने की जगह बढ़ाकर 68 महीने कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद राज्य सरकार ने जालोर में 2 और भीलवाड़ा में 1 बजरी खनन पट्टे और उसके बाद 4 दिसंबर को देवली, राजसमंद, नाथद्वारा में बजरी मंशा पत्रों की वैधता का रास्ता साफ किया है। अब तक कुल 6 बजरी खनन की लीज जारी हो सकी हैं। बजरी संबंधी सभी केसों की मॉनिटरिंग और कॉर्डिनेशन के लिए एडिशनल डायरेक्टर बीएस सोढ़ा को इंचार्ज बनाया हुआ है। माइंस डिपार्टमेंट के मंत्री प्रमोद जैन भाया ने भी केन्द्र सरकार से पर्यावरण अनुमति मिलने पर खुशी जाहिर की है।
प्रदेश सरकार को 600 करोड़ रुपए मिलेगा रेवेन्यू
विभाग के मुताबिक एक मोटे अनुमान के अनुसार राज्य में 70 मिलियन टन बजरी की मांग है। इन 60 खनन क्षेत्रों के लिए लीज जारी होते ही प्रदेश में बजरी की समस्या का पूरी तरह से समाधान हो जाएगा। इससे एक और जहां रियल एस्टेट सहित निर्माण क्षेत्र की बजरी की समस्या का समाधान होगा । वहीं एक मोटे अनुमान के मुताबिक प्रदेश सरकार को भी 600 करोड़ रुपए का रेवेन्यू मिलेगा।