फ्रीफायर गेम की ऐसी लत दोस्तों ने रस्सी से बांधा- मोबाइल में गेम खेलने का इतना नशा की पागलो जैसी हरकते, हाइवे पर गाडी रुकवाकर कह रहा तुमने पासवर्ड हैक किया है,







चित्तौड़गढ़ - 

मोबाइल का एडिक्शन और ऑनलाइन गेम के चक्कर में एक 22 साल का लड़का पागलों जैसी हरकतें करने लगा। हाइवे पर जाकर वाहन चालकों को रोककर हैकर बोलने लगा। युवक को बांधकर रखने तक की नौबत आ गई। खोलते ही वह वापस भागने की कोशिश कर रहा हैं। मामला आज शाम चित्तौड़गढ़ के भदेसर इलाके का है।

दरअसल, छपरा, बिहार निवासी इरफान अंसारी कुछ दिन पहले चित्तौड़गढ़ आया था। युवक घंटों फ्री फायर गेम खेलता था। उसका मोबाइल गुरुवार रात को अचानक बंद हो गया। इसके बाद वह हैकर आया, पासवर्ड चेंज, गोल गल घूम रहा है और आईडी लॉक जैसे शब्द बोल रहा था। रात भर उसे समझाया गया। मगर सुबह होते ही वापस सिक्स लेन हाईवे पर दौड़ने लगा। वाहन चालकों को रोककर आईडी हैक करने की बात कहने लगा। इससे आईडी लॉक हो गई। उसके दोस्त पकड़कर लाए और एक खाट पर लेटाकर रस्सी से बांध दिया।

मोबाइल खराब होने से बिगड़ी हालत
बानसेन ग्राम पंचायत सरपंच कन्हैयालाल वैष्णव ने बताया कि इरफान का मोबाइल कल रात खराब हो गया था। उसके बाद से ही हालत इतनी खराब हो गई। मोबाइल उसके हाथ में था। उसके बाद भी अन्य लोगों पर आरोप लगा रहा था कि मोबाइल किसी ने चोरी कर लिया। उसने कहा कि पीछे जो खेत है, वहां पर कोई बाइक वाला फसलें खराब कर रहा है। बाइक छुपा रखी हैं। मौके पर जाकर देखा तो कोई नहीं मिला।

पिता ने बिहार से बुलाया था
सरपंच ने बताया कि छपरा, बिहार निवासी मुस्लिम अंसारी ने 4 महीने से चित्तौड़गढ़-उदयपुर सिक्स लेन पर बजरंग होटल के बाहर एक पंचर की दुकान लगा रखी है। वह अपने गांव छपरा गया हुआ है। बदले में उसने बिहार से अपने बेटे इरफान को यहां बुला लिया और दुकान संभालने के लिए कहा। 10 दिन से इरफान यही पर रह कर काम कर रहा था। युवक की तबीयत खराब होने पर उसके पिता को जानकारी दी गई है।

7th क्लास के बच्चे ने छोड़ा था घर
पब्जी के लिए मोबाइल खरीदकर नहीं देने पर 3 महीने पहले भी एक बच्चे ने घर छोड़ दिया था। 15 दिन बाद पुलिस ने बच्चे को सूरत से पकड़ा था। पूछताछ में उसने कहा था कि, ऑनलाइन गेम खेलना अच्छा लगता था। मगर पापा ने मोबाइल देना बंद कर दिया। इस बात से नाराज होकर वह घर छोड़कर चला गया था।

ऑनलाइन गेम खेलने वाले वर्चुअली अपनी एक दुनिया बना लेते
मनोचिकित्सक डॉ. मुकेश जाटोलिया का कहना है कि हम दिन भर जिस एटमॉस्फेयर में रहते हैं, उसी में ढल जाते हैं। ऑनलाइन गेम खेलने वाले वर्चुअली अपनी एक दुनिया बना लेते हैं। धीरे-धीरे उनका इमोशन भी उस गेम से जुड़ने लगता है। उन्हें लगता है जो उस वर्चुअल दुनिया में हो रहा है। वह एक्चुअल में इनके साथ हो रहा है, जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। सब कुछ काल्पनिक ही होता है। उसमें कई हिंसक चींजें दिखाई जाती है जो भड़काऊ होते है।
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