बच्चों को बेल्ट से पीटती थी हत्यारी मां, उसे देखते ही कांप जाते; सास से भी मारपीट, भागवत के बहाने बॉयफ्रेंड से मिलती
अलवर - अलवर में 6 साल पहले हुए खौफनाक हत्याकांड की परतें अब दोबारा खुलती जा रही हैं। एक के बाद एक हो रहे खुलासों में सामने आ रही है पति, 3 बच्चों और भतीजे की हत्यारी संतोष के टॉर्चर की कहानी। आरोपी संतोष अपने बेटों को बेल्ट से इतनी बुरी तरह पीटती थी कि मां का नाम सुनते ही बच्चे कांप जाते थे।
संतोष की जुल्मों और जुर्म की कहानी जानने के लिए भास्कर टीम अलवर से 90 किलोमीटर दूर गारू गांव में उसके ससुराल पहुंची। गांव में जब घुसे और संतोष के ससुराल का पता पूछा तो सबसे पहले ये ही पूछा गया- वो ही…जिसने अपनी पति और बच्चों को मार दिया। इससे आगे कुछ पूछते इससे पहले ही गांव वाले कई नई कहानियां सुनाने लगे।
चौपाल पर बैठे लोगों से उसके ससुराल जाने का रास्ता पूछा तो उनका ये ही कहना था कि संतोष के नाम से अब नफरत हो गई है। उसे उम्रकैद दी गई…लेकिन उसे तो फांसी की सजा होनी थी।
टीम जब संतोष के ससुराल पहुंची तो यहां बनवारी (संतोष के पति) का परिवार मिला। परिवार में केवल उसका छोटा भाई, उसकी पत्नी और एक बेटा बचा है। परिवार के बुजुर्ग से लेकर बच्चों ने संतोष की जो कहानी बताई वो हैरान कर देने वाली थी।
देवर बोला- बच्चे उसके सामने कांपते थे, बेरहमी से पीटती थी
देवर मुकेश चंद शर्मा ने बताया कि संतोष मेरी भाभी और साली दोनों लगती है। इसके बाद भी हम चाहते हैं कि उसे फांसी हो। हमें पता नहीं था कि वह बच्चों को ही मार देगी। बच्चों में उसका डर बहुत था।
बच्चे उसके सामने जाने से भी कांंपते थे। जब बच्चे उसका कहना नहीं मानते थे तो वह उन्हें बेल्ट से पीटती थी। यहां गारू गांव आती तो दो-तीन दिन से ज्यादा नहीं रुकती थी। भागवत कथा और धार्मिक कार्यक्रम के नाम पर वह 15-15 दिन तक बाहर जाती थी।
मेरा सबसे बड़ा भतीजा मोहित तो इतना होशियार था कि आज भी हमारे घर में उसके मैडल रखे हैं। वो कहता था मेरी नौकरी तो इन मैडल से लग जाएगी। बाकी दोनों बच्चे भी काफी होशियार थे। लेकिन, संतोष उन्हें मारने का कोई मौका नहीं छोड़ती थी। जो चीज दिखती उससे पीटती थी।
इन बच्चों में संतोष के नाम को लेकर इतना डर हो गया कि वे कभी याद नहीं करते थे। संतोष एक-एक महीने के लिए भी बाहर चली जाती तो बच्चों ने कभी उसे याद नहीं किया। खौफ इतना था कि संतोष के सामने आते ही चुप हो जाते थे।
भागवत कथा के बहाने बॉयफ्रेंड से मिलती
पुलिस जांच में सामने आया कि संतोष अपने आप को धार्मिक प्रवृति की बताती थी। संतोष भागवत कथा भी करती थी। इसके साथ रामायण में अलग-अलग किरदार भी निभाती थी। इसी के बहाने वह एक-एक महीने तक घर से बाहर रहती अपने प्रेमी से भी मिला करती थी।
बहन बोली- मुझे भी नहीं छोड़ा
संतोष मेरी बड़ी बहन है। अलवर में हम साथ ही रहते थे। जिस दिन ये हत्याकांड हुआ उस दिन मेंं भी शिवाजी पार्क वाले मकान में ही थी। मेरे सामने ही संंतोष ने लाल रंग की गोली रायते में डाली और सिलबट्टे पर पीसने लगी। मैंने टोका तो मुझे डांट दिया।
वह मुझे भी मारती-पीटती थी। कोई काम नहीं करती तो मुझे भी मारने का मौका नहीं छोड़ा। मैं भी उससे डरती थी। वो मेरी बहन नहीं दुश्मन थी। पता नहीं था कि वह पूरे परिवार को मरवा देगी।
उसने बच्चों को कभी प्यार नहीं किया। बच्चों को वो बेल्ट से मारती थी। हम कभी समझ नहीं पाए कि आखिर उसे इतना गुस्सा क्यों आता है। वो क्यों बच्चों से प्रेम नहीं करती।
उसने मेरे 10 साल के बेटे निक्की को भी बेरहमी से मरवा दिया। मैं उसके पूरे घर का काम करती थी और, वह घूमती रहती थी। उसके मन जो आता वो करती, जहां जाना चाहती थी वहां जाती थी। उसे किसी को टोकने में हिम्मत नहीं थी।
सास को धमका कर रोटियां बनवाती थी: ओमवती (चाची सास )
टीम जब संतोष के घर पहुंची ततो यहां उसकी चाची सास ओमवती मिली। ओमवती ने बताया– कभी लगा ही नहीं कि वह हमारे घर की बहू है। गर्मियों की छुटि्टयों में जब बच्चे आते थे तो वह एक-दो दिन से ज्यादा नहीं रुकती थी। उसका व्यवहार अजीब सा था। वह अपनी सास को डांटती-पीटती थी। सास से ही खाना बनवाती थी। सास खाना नहीं बनाती तो उन्हें भी डांट देती थी। इतनी ही देर में परिवार की एक और महिला गुस्से से बाहर आई। और, संतोष को लेकर बोलने लगी– खुद कुछ देर रुकती और चली जाती थी। जिसने पांच को मरवा दिया उसे तो फांसी होनी चाहिए। जब हमें पता चला उसने पूरे परिवार को मरवा दिया उस दिन पूरे गांव में खाना नहीं बना था।
घरवालों से बातचीत के दौैरान वहां पड़ोस का बच्चा ऋषभ पहुंचा। उम्र करीब 13 साल। उसने बताया कि जब भी निक्की, मोहित और अज्जू छुटि्टयों में यहां आते तो उनके साथ खेलता था। मुझे अब उनकी याद आती है। ऋषभ बोला- जो मेरे साथ खेलते थे उन्हें मार दिया और अब इन्हें फांसी होनी चााहिए।
अब कहानी उस बच्चे की जुबानी…जो बच गया
परिवार वालों से जब टीम बात कर रही थी तभी एक कोने में कविता-मुकेश का सबसे छोटा बेटा और निक्की का भाई विनय खड़ा था। अभी वो 12 साल का है। लेकिन, जब हत्याकांड हुआ उस समय उसकी उम्र 6 साल की थी। हत्या वाले दिन वह अपनी मां कविता के पास सो रहा था। विनय और कविता को भी नींद की गोली मिला रायता खिलाया गया था। विनय ने बताया कि उस दिन सुबह जब मैं नीचे आया तो डर गया। आंगन में खून ही खून था। बेड पर और जमीन पर लाशें पड़ी थीं। बेड के नीचे भी बहुत सारा खून था। मुझे निक्की, अज्जू, अमन व हैपी भैया की बहुत याद आती है। उनके साथ खेलता था। अब मेरे साथ कोई खेलने वाला नहीं है। अकेला रह गया हूं। बड़ी मम्मी सबको मारती थी।
2 अक्टूबर 2017 की रात को संतोष ने अपने प्रेमी हनुमान से मिलकर खुद के तीन बेटे, एक भतीजा और पति की हत्या करा दी थी। इस हत्याकांड के 6 महीने बाद ही बनवारी के माता-पिता दोनों की मौत हो गई।घरवालोंं ने बताया कि जब घर से एक साथ 5 अर्थियां निकली तो मां बिरमा ये हालात देख सदमे में आ गई।
इस हत्याकांड के बाद से वह परेशान होने लगी। बार-बार अपने बेटे और पोतों को याद कर रोने लगती। इसी सदमे में 4 महीने बाद बिरामी देवी की मौत हो गई। इधर, पूरा परिवार खत्म होने की चिंता पिता मुरारी को भी सता रही थी। परिवार के पांच लोगों की मौत और इसके बाद सदमे में पत्नी की मौत ने उन्हें तोड़ दिया कुछ महीने बाद उनकी भी मौत हो गई।
सोशल मीडिया पर लग्जरी लाइफ वाले फोटो, देवर को भी नहीं छोड़ा
संतोष के देवर मुकेश ने बताया कि पता नहीं उसे किस बात पर गुस्सा आता था। मैं खुद अपनी कमाई के रुपए संतोष को देता था। खुद के बच्चों से लेकर मेरी पत्नी, बेटों के अलावा मुझे भी पीट दिया करती थी। जब किसी बात पर मुझसे झगड़ा होता तो वह मुझे भी नहीं छोड़ती थी और पिटाई शुरू कर देती थी।
सोशल मीडिया पर उसके लग्जरी लाइफ वाले फोटो है। उसकी जिंदगी में क्या चल रहा है किसी को पता ही नहीं था। लेकिन, जब उसकी करतूत के बारे में घरवालों को पता चला तो बड़े भाई बनवारी और मोहित ने उसे जरूर टोका था। लेकिन, पता नहीं था कि वह अपना गुस्सा इस कदर निकालेगी।
मर्डर के एक साल पहले मैं संतोष का गुस्सा देख चुका था। छोटे भतीजे विनय ने उसके सामने बोल दिया था। इस पर गुस्से में वह बोली कि– ज्यादा मत बोल...सोते हुए को मरवा दूंगी।
संतोष के कारनामे से पूरा गारु गांव गुस्से में है। हत्याकांड के बाद से परिवार सदमे में है। टीम जब गांव की चौपाल पर पहुंची तो वहां मनोज, विक्रम समेत अन्य बुजुर्ग मिले। उन्होंने बताया कि जिस दिन हत्या के बारे में पता चला तो हम सब हैरान हो गए। लेकिन, जब शाम को एक साथ पांच अर्थियां आईं तो हर किसी की आंख में आंसू थे। पहली बार था कि जब पूरे गांव ने उस दिन न तो खाना खाया और न ही किसी ने चूल्हा जलाया।
निक्की 6 घंटे तक तड़पता रहा
संतोष ने जब रायते में नींद की गोलियां मिलाई तो कविता उसे रोक नहीं पाई थी। कारण था वह भी डरती थी, लेकिन उसे पता नहीं था कि संतोष ने सभी को मारने का प्लान बनाया है। इस हत्याकांड में कविता और मुकेश भी अपना एक बेटा खो चुके हैं। दोनों के 10 साल के बेटे निक्की को बेरहमी से मारा गया। हनुमान ने निक्की का गला काटने के बाद उस पर एक के बाद एक 10 वार किए थे। इस दर्दनाक मौत से बचने के लिए निक्की ने अपने आप को बचाने की भी कोशिश की थी, लेकिन छुरा आर-पार हो गया था।
पांचों के शरीर पर 50 से ज्यादा घाव
पांचों की हालात देखी तो पुलिस अधिकारी भी हैरान हो गए। गले काटने के बाद भी इनकी हैवानियत नहीं रुकी। एक-एक के शरीर पर 10 से ज्यादा वार किए। पेट, हाथ, पीठ, चेहरे और शरीर के अन्य हिस्सों में गहरे घाव थे। शरीर के कई हिस्सों पर छुरे को आर-पार कर दिए थे। बनवारी को तो इतनी बेरहमी से पेट में चाकू मारा था कि लिवर तक चाकू से घाव हो गए थे। और, इसकी पुष्टि मेडिकल जांच में भी हुई थी।
दो साल चला अफेयर, एक साल पहले बनाई प्लानिंग
संतोष और हनुमान के बीच दो साल तक अफेयर चला था। 2014 में दोनों की मुलाकात हुई थी। संतोष का पति बनवारी एक फैक्ट्री में ऑपरेटर का काम करता था। इधर, संतोष को लग्जरी लाइफ पसंद थी। वह घूमना--फिरना चाहती थी। साल 2016 में दोनों के अफेयर के बारे में बनवारी और मोहित को पता चल गया था और इसी के बाद से उन्होंने संतोष को लेकर रोका--टोका शुरू कर दी थी।
इससे नाराज होकर संतोष और हनुमान ने मिलकर पूरे मर्डर की प्लानिंग रची गई थी। हनुमान ने इस प्लानिंग में अपने दो साथी कपिल और दीपक को भी शामिल किया। ऑनलाइन जानवर काटने वाला चाकू मंगवाया और मर्डर के दो महीने पहले फर्जी आईडी से दो सिम खरीदी थी।
इसी सिम के नंबर के जरिए संतोष और हनुमान कॉन्टैक्ट में रहते थे। आखिर 2 अक्टूबर की रात संतोष ने पूरे परिवार को खाने में नींद की दवाई मिला खाना खिलाया। रात 1 बजे हनुमान और उसके साथियों को एंट्री संतोष ने ही दी थी। इसके बाद बनवारी लाल शर्मा (45), बेटा मोहित (17), हैप्पी (15) अज्जू (12) और भतीजे निक्की (10) की गला काट कर हत्या कर दी गई।