भाटी का हमला – जलस्तर गिरा, दावे बड़े और जनता जहरीला पानी पीने को मजबूर

 भाटी का हमला – जलस्तर गिरा, दावे बड़े और जनता जहरीला पानी पीने को मजबूर



बाड़मेर। राजस्थान विधानसभा में “भू-जल (संरक्षण और प्रबंध) प्राधिकरण विधेयक” पर चर्चा के दौरान शिव विधायक रविन्द्र सिंह भाटी ने प्रदेश की भयावह जल स्थिति और सरकारी दावों पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि बीते दशक में राजस्थान का भूजल स्तर इतनी तेजी से गिरा है कि राज्य अब देश में सबसे कम भूजल वाले राज्यों की श्रेणी में आ गया है। भाटी ने आंकड़े पेश करते हुए बताया कि प्रदेश के 74% भूजल स्रोत अति-दोहन की श्रेणी में आ चुके हैं और 301 में से 295 ब्लॉक डार्क जोन बन गए हैं। दोहन की दर 151% तक पहुंच चुकी है।

भ्रष्टाचार और कागजी योजनाओं पर आरोप

भाटी ने कहा कि भूजल संकट का कारण केवल प्राकृतिक परिस्थितियां नहीं बल्कि भ्रष्टाचार और पानी माफिया भी हैं। न्होंने खुलासा किया कि केंद्र सरकार के जल शक्ति अभियान के तहत 2021 से 2024 तक बाड़मेर जिले में 1,300 करोड़ रुपए खर्च दिखाए गए, लेकिन केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट साफ कहती है कि पानी का स्तर लगातार नीचे जा रहा है। सी तरह, मनरेगा में 230 करोड़ रुपए खर्च दिखाए गए, लेकिन जमीनी हकीकत में कुछ नहीं दिखता। उन्होंने आरोप लगाया कि PMKSY, अमृत योजना, अटल भूजल योजना, DMFT, RICDF, MPLAD, MLALAD और CSR जैसे करीब 18 स्रोतों से आए फंड का भी सही इस्तेमाल नहीं हुआ।

16,560 गांव दूषित पानी पीने को मजबूर

विधायक ने बताया कि जिले के कई गांवों में पानी का TDS स्तर 7000 ppm से ऊपर है, जबकि BIS मानक सिर्फ 50-150 ppm है। उन्होंने कहा कि शिव के पादरिया सहित कई गांवों में लगाए गए 55 RO प्लांट में से 30 बंद पड़े हैं, जिससे लोग वर्षों से फ्लोराइडयुक्त जहरीला पानी पीने को मजबूर हैं।

पर्यटन स्थलों की जमीन उद्योगों को देने पर आपत्ति

भाटी ने कहा कि सरकार ने रेड़ाना जैसे पर्यटन क्षेत्रों की जमीन तक उद्योगों को अलॉट कर दी, जबकि पर्यटन स्थलों को बचाना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि सोलर और विंड एनर्जी प्रोजेक्ट्स के नाम पर सीमावर्ती इलाकों की जमीनें हड़प ली गईं तो स्थानीय लोग और उनका पशुधन विस्थापित हो जाएंगे। सरकार को चाहिए कि औद्योगिक क्षेत्रों में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स लगाए, जिससे रोजगार और विकास दोनों को बढ़ावा मिले।

खेजड़ी की अंधाधुंध कटाई पर चिंता

भाटी ने कहा कि अब तक 25 से 26 हजार खेजड़ी के पेड़ काटे जा चुके हैं और यह संख्या बढ़कर 50 हजार तक पहुंच सकती है। उन्होंने मांग की कि राजस्थान में भी तत्काल Tree Protection Act लागू किया जाए। उन्होंने कहा – “खेजड़ी केवल बिश्नोई समाज की नहीं, बल्कि पूरे राजस्थान की धरोहर है।”

और नया पुराने

Column Right

Facebook