भीनमाल से रोज सैकड़ों बसें देशभर को रवाना, लेकिन सुरक्षा के नाम पर जीरो इंतजाम
न आपातकालीन गेट, न अग्निशमन यंत्र… जैसलमेर-जोधपुर हादसे से भी नहीं चेता प्रशासन
मुंबई, बेंगलुरु, सूरत, अहमदाबाद, वापी, जयपुर, भरतपुर, आगरा सहित कई रूटों पर रोजाना सैकड़ों बसें दौड़ रही हैं—यात्रियों की जान भगवान भरोसे
भीनमाल। एक ओर हाल ही में जैसलमेर से जोधपुर जा रही बस में लगी आग की भयावह घटना ने पूरे राजस्थान को झकझोर दिया, वहीं दूसरी ओर भीनमाल जैसे कस्बे में अभी तक प्रशासनिक नींद नहीं टूटी है। यहां से हर दिन देश के कई बड़े शहरों — मुंबई, बेंगलुरु, सूरत, अहमदाबाद, वापी, जयपुर, भरतपुर, कोटा, उदयपुर, जैसलमेर और आगरा — के लिए सैकड़ों बसें रवाना होती हैं, लेकिन इनमें से अधिकतर बसों में न तो आपातकालीन निकास द्वार हैं और न ही अग्निशमन उपकरण।
'चल रही हैं मौत की सवारियां'
इन बसों में सफर करने वाले यात्रियों की जान सीधे खतरे में है। कई बसों में खिड़कियों पर लोहे की ग्रिल लगी होती है, सीटों के बीच निकलने की जगह नहीं होती और एक भी इमरजेंसी गेट मौजूद नहीं होता। अगर कहीं आग लग जाए या बस पलट जाए, तो यात्री बाहर निकल भी नहीं सकते। इसके बावजूद बसें धड़ल्ले से चल रही हैं और प्रशासन आंख मूंदे बैठा है।
प्रवासी मजदूरों और छात्रों की बड़ी संख्या
भीनमाल से राजस्थान के बाहर काम करने वाले प्रवासी मजदूर, व्यापारी, छात्र और आम यात्री इन बसों पर निर्भर हैं। ये लोग मुंबई, वापी, सूरत, अहमदाबाद, जयपुर और बेंगलुरु जैसे शहरों में काम या पढ़ाई के लिए जाते हैं। लेकिन उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी कोई लेने को तैयार नहीं है।
जांच के नाम पर खानापूर्ति, जिम्मेदार चुप
परिवहन विभाग द्वारा समय-समय पर जांच की बात तो होती है, लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। बसों की फिटनेस, परमिट, सुरक्षा उपकरण, अग्निशमन व्यवस्था और आपातकालीन निकास जैसे जरूरी बिंदुओं पर कोई गंभीरता नहीं दिखाई देती।
जैसलमेर हादसे से नहीं ली कोई सीख
हाल ही में जैसलमेर से जोधपुर जा रही एक बस में आग लगने से कई यात्री बुरी तरह झुलस गए थे। घटना के बाद राज्यभर में अलर्ट जारी हुआ, कई जगहों पर जांच अभियान भी शुरू हुए, लेकिन भीनमाल में अब तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई। सवाल यह है कि क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है?