बिशनगढ़ में पुलिस पर गंभीर आरोप — महिलाओं और नाबालिग लड़कियों के साथ मारपीट, बिना न्यायिक आदेश के परिवार को किया बेदखल

 📰 बिशनगढ़ में पुलिस पर गंभीर आरोप — महिलाओं और नाबालिग लड़कियों के साथ मारपीट, बिना न्यायिक आदेश के परिवार को किया बेदखल


मकान बिक्री विवाद ने लिया कानूनी रूप, पीड़ित परिवार ने न्यायालय में पेश की शिकायत, पुलिस पर मनमानी का आरोप


जालोर।
बिशनगढ़ थाना क्षेत्र के केशवना गांव में पुलिस की कथित ज्यादती का गंभीर मामला सामने आया है। एक परिवार ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने मकान विवाद के चलते महिलाओं और नाबालिग लड़कियों के साथ मारपीट की, उन्हें घर से जबरन बेदखल कर दिया और बिना किसी न्यायिक आदेश या जांच के मकान पर ताला लगा दिया।
मामले का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें पुलिसकर्मी घर में घुसकर महिलाओं व किशोरियों से हाथापाई करते नजर आ रहे हैं।


👩‍👧 नाबालिग बेटियों ने पेश किया परिवार न्यायालय में


पीड़ित परिवार के सदस्य कैलाश वैष्णव की दो बेटियां — 17 वर्षीय दीपिका और 15 वर्षीय अर्चना — अन्य परिजनों के सहयोग से जालोर पहुंचीं और अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवार को पेश किया।
दीपिका ने बताया कि बिशनगढ़ थाना अधिकारी निंबसिंह, एएसआई ताराराम, जनकसिंह उर्फ जनार्दनसिंह पुत्र जालमसिंह और नवीन कुमार पुत्र चंपालाल जैन बुधवार को जबरन घर में घुस आए। उन्होंने परिवार के सदस्यों — दीपिका, अर्चना, मां ललिता देवी, दादी शांति देवी और काका लक्ष्मणदास — के साथ मारपीट की और महिलाओं को गाड़ी में डालकर थाने ले गए।
पुलिस ने घर पर ताला लगाकर मकान खाली करवा दिया।


🏠 मकान को लेकर पुराना विवाद

पूरा विवाद एक मकान की खरीद-बिक्री और कब्जे को लेकर है।
केशवना निवासी नवीन पुत्र चंपालाल जैन ने 25 अक्टूबर को बिशनगढ़ थाने में रिपोर्ट दी थी कि उनके स्वर्गीय पिता ने 4 जनवरी 2006 को स्वर्गीय कानाराम वैष्णव से मकान खरीदा था।
उन्होंने यह भी कहा कि मकान की देखरेख के लिए उन्होंने जनकसिंह को जिम्मेदारी सौंपी थी।

रिपोर्ट के अनुसार, 18 से 20 अक्टूबर के बीच कानाराम के पुत्र कैलाश वैष्णव और परिवारजनों ने ताला तोड़कर मकान में कब्जा कर लिया और सामान चोरी कर लिया।


📜 कैलाश का पक्ष — “पुश्तैनी घर है, पुलिस ने रिपोर्ट फाड़ दी”


वहीं, दूसरी ओर कैलाश वैष्णव का कहना है कि वे अपने पुश्तैनी घर में ही रह रहे हैं।
उनका दावा है कि घर का बिजली और पानी का बिल उनके पिता कानाराम वैष्णव के नाम से आता है और वे लगातार बिल जमा करते आ रहे हैं।

कैलाश ने 24 अक्टूबर को एसपी जालोर को परिवाद प्रस्तुत कर बताया कि 22 अक्टूबर को जनकसिंह कुछ लोगों के साथ आया और मकान खाली करवाने के लिए उनसे मारपीट की।
उन्होंने कहा —

“जब हमने बिशनगढ़ थाने में रिपोर्ट दी, तो पुलिस ने रिपोर्ट फाड़ दी और हमें थाने में बैठाए रखा। बाद में रात को छोड़ दिया। इसलिए न्याय के लिए हमें एसपी के सामने पेश होना पड़ा।”


⚖️ कानूनी विशेषज्ञों की राय — “पुलिस नहीं कर सकती बेदखली”

जालोर बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष अश्विन राजपुरोहित ने बताया कि —

“किसी को मकान से बेदखल करना, किराएदार को निकालना या कब्जा दिलवाना पुलिस का अधिकार क्षेत्र नहीं है।
ऐसे विवाद सिविल कोर्ट में निपटाए जाते हैं।
न्यायालय के आदेश की पालना में ही पुलिस किसी भी प्रकार की कार्रवाई कर सकती है।
बिना न्यायिक आदेश के किसी को घर से निकालना पूरी तरह कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन है।”





📍 प्रशासनिक और कानूनी कार्रवाई की मांग

पीड़ित परिवार ने अब जालोर जिला प्रशासन से मामले की न्यायिक जांच की मांग की है।
परिवार का कहना है कि पुलिस ने जनकसिंह और नवीन जैन के साथ मिलकर दबाव में आकर कार्रवाई की है।
सामाजिक संगठनों ने भी इस घटना की स्वतंत्र जांच और पुलिसकर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है।


🔚 मकान विवाद से बढ़ी संवेदनशीलता

यह मामला न केवल सिविल बनाम पुलिस अधिकार क्षेत्र की सीमाओं पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि संपत्ति विवादों में पुलिस हस्तक्षेप कैसे गंभीर सामाजिक और कानूनी परिणाम ला सकता है।
वहीं, एक नाबालिग बालिका द्वारा न्यायालय में अपने परिवार के लिए न्याय की गुहार लगाना इस घटना को और भी संवेदनशील बना देता है।

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