शिक्षकों की कमी से शिक्षा व्यवस्था चरमराई — ग्रामीणों ने मालगढ़ के सरकारी विद्यालय पर जड़ा ताला 10 दिन पहले अधिकारियों को दी थी सूचना, कार्रवाई के अभाव में बढ़ा ग्रामीणों का आक्रोश

शिक्षकों की कमी से शिक्षा व्यवस्था चरमराई — ग्रामीणों ने मालगढ़ के सरकारी विद्यालय पर जड़ा ताला

10 दिन पहले अधिकारियों को दी थी सूचना, कार्रवाई के अभाव में बढ़ा ग्रामीणों का आक्रोश

आहोर (जालोर)।

शिक्षा विभाग की लापरवाही एक बार फिर उजागर हुई है। जालोर जिले के आहोर उपखंड के मालगढ़ गांव में स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में शिक्षकों की भारी कमी से त्रस्त ग्रामीणों का सब्र आखिर टूट गया। सोमवार सुबह ग्रामीणों ने विद्यालय के मुख्य द्वार पर ताला जड़कर विभाग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक विद्यालय में पर्याप्त शिक्षक नियुक्त नहीं किए जाते, तब तक ताला नहीं खोला जाएगा।


📚 विद्यालय में 300 विद्यार्थी, पर सिर्फ तीन शिक्षक

मालगढ़ का राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय क्षेत्र का प्रमुख शिक्षण संस्थान है, जहां कक्षा पहली से लेकर बारहवीं तक की पढ़ाई होती है। विद्यालय में करीब 300 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं, लेकिन शिक्षकों की संख्या बेहद कम है।
जानकारी के अनुसार विद्यालय में वर्तमान में प्रधानाध्यापक का पद रिक्त है। वहीं दो शिक्षकों को BLO (मतदाता सूची कार्य) में लगा दिया गया है, जिससे विद्यालय में केवल तीन थर्ड ग्रेड शिक्षक ही शेष रह गए हैं।
इस कारण विद्यालय में न तो नियमित कक्षाएं हो पा रही हैं और न ही विद्यार्थियों की पढ़ाई का स्तर कायम रह पा रहा है।


📝 पहले भी दी थी शिकायत, नहीं हुई कोई कार्रवाई



ग्रामीणों ने बताया कि इस समस्या के समाधान के लिए उन्होंने करीब दस दिन पहले उपखंड अधिकारी आहोर और ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (BEO) को लिखित रूप से अवगत कराया था। शिकायत में विद्यालय में अतिरिक्त शिक्षकों की मांग की गई थी।
लेकिन शिक्षा विभाग की ओर से अब तक न तो कोई शिक्षक भेजा गया और न ही निरीक्षण के लिए कोई अधिकारी पहुंचे।
ग्रामीणों का कहना है कि विभाग की यह उदासीनता बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।


🚸 ग्रामीण बोले – बच्चों के भविष्य से नहीं करेंगे समझौता

गांव के गणमान्य व्यक्तियों ने बताया कि विद्यालय में लंबे समय से शिक्षकों की कमी बनी हुई है, लेकिन विभाग केवल आश्वासन देकर पल्ला झाड़ रहा है।
ग्रामीणों ने कहा, “हमारे बच्चे रोज़ाना स्कूल आते हैं लेकिन उन्हें पढ़ाने वाला कोई नहीं। जब तक पर्याप्त शिक्षक नियुक्त नहीं होते, विद्यालय का ताला नहीं खोला जाएगा।”
ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि विभाग ने शीघ्र ठोस कदम नहीं उठाए तो वे धरना-प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।


⚠️ शिक्षा विभाग की लापरवाही पर उठे सवाल

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सरकार शिक्षा सुधार के बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति बिल्कुल अलग है। विभागीय अधिकारी न तो विद्यालयों का निरीक्षण करते हैं और न ही शिक्षकों की कमी जैसी मूल समस्याओं को गंभीरता से लेते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि जब तक जिम्मेदार अधिकारी हालात का संज्ञान नहीं लेंगे, तब तक गांव के बच्चों की शिक्षा व्यवस्था पटरी पर नहीं आ पाएगी।


🎓 ग्रामीणों की मांग

  • विद्यालय में तुरंत प्रधानाध्यापक और विषयवार शिक्षक नियुक्त किए जाएं।

  • BLO कार्य में लगे शिक्षकों को तत्काल विद्यालय में वापस बुलाया जाए।

  • शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा विद्यालय का निरीक्षण किया जाए।


निष्कर्ष:
मालगढ़ का यह मामला सिर्फ एक गांव की समस्या नहीं, बल्कि पूरे जिले में शिक्षा व्यवस्था की जमीनी हकीकत को उजागर करता है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक शिक्षा विभाग अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाता, वे इस आंदोलन को जारी रखेंगे।

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