आहोर — वरिष्ठ अधिवक्ता पर हमले के विरोध में अभिभाषक संघ का बहिष्कार, न्यायालयों में कामकाज ठप
पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल
आहोर। वरिष्ठ अधिवक्ता अमिताभ सिंह पर 22 नवंबर को उपखंड कार्यालय के बाहर हुए कथित जानलेवा हमले के विरोध में आहोर अभिभाषक संघ ने सोमवार को न्यायिक कार्य का पूर्ण बहिष्कार किया। घटना के दो दिन बाद भी मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने से अधिवक्ताओं में भारी आक्रोश है। संघ ने चेतावनी दी है कि यदि कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन को और भी व्यापक रूप दिया जाएगा।
पुलिस ने मामूली धाराओं में मामला दर्ज किया, गिरफ्तार युवकों को छोड़ दिया
जानकारी के अनुसार घटना के बाद पुलिस ने हमले से जुड़े युवकों को मामूली धाराओं में पाबंद करने की कार्रवाई करते हुए गिरफ्तार कर छोड़ दिया। अभिभाषक संघ का आरोप है कि यह गंभीर हमला था, लेकिन पुलिस ने जानबूझकर हल्की धाराएं लगाकर मामले को कमजोर किया है। वकीलों ने कहा कि इतने गंभीर मामले में पुलिस का इस तरह का रुख न्याय व्यवस्था को प्रभावित करता है और हमलावरों को खुला संरक्षण देने जैसा है।
हाथापाई में पुलिसकर्मी की वर्दी भी फटी, लेकिन ‘राजकार्य में बाधा’ का केस तक नहीं दर्ज !
वकील ललित खत्री ने आरोप लगाए कि वकील अमिताभ सिंह के साथ हुई धक्का-मुक्की और हाथापाई के दौरान मौके पर मौजूद एक पुलिसकर्मी की वर्दी भी फट गई थी। यह सीधे-सीधे राजकार्य में बाधा का मामला बनता है, जो एक गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। अधिवक्ताओं का कहना है कि पुलिसकर्मी की वर्दी फटने और सरकारी कार्य में बाधा का इतना स्पष्ट तथ्य सामने होने के बावजूद पुलिस ने इस दिशा में कोई केस दर्ज नहीं किया। इससे पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं कि आखिर पुलिस किस दबाव में या किस वजह से कार्रवाई से बच रही है?
ज्ञापन सौंपे, तहसीलदार व नायब तहसीलदार को भी अवगत कराया
सोमवार सुबह अभिभाषक संघ ने उपखंड अधिकारी (SDM) के नाम नायब तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा। इसके बाद तहसीलदार आहोर को भी ज्ञापन दिया गया। ज्ञापनों में स्पष्ट कहा गया कि आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं और पुलिस जानबूझकर कार्रवाई नहीं कर रही है।
कई अधिवक्ताओं का काफिला थाने पहुंचा, पुलिस से जांच रिपोर्ट मांगी
ज्ञापन सौंपने के बाद कई अधिवक्ता अपने वाहनों के काफिले के साथ आहोर थाने पहुंचे। वकील एकता जिंदाबाद पुलिस प्रशासन है है के नारों के साथ, वहां उन्होंने पुलिस अधिकारियों से अब तक की जांच रिपोर्ट aकी जानकारी मांगी और कार्रवाई में हो रही देरी पर आपत्ति जताई।
वकीलों ने कहा कि—
पुलिस ने गंभीर हमले को साधारण विवाद की तरह लिया
निन्म धाराओं में कार्रवाई कर युवकों को छोड़कर मामले को कमजोर कर दिया
राजकार्य में बाधा और पुलिस वर्दी फाड़ने जैसी धाराएं लगाने की बजाय मामले को दबाया गया
अब तक मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी नहीं होना पुलिस की निष्क्रियता को दर्शाता है
थाने परिसर में अधिवक्ताओं ने “वकील एकता जिंदाबाद” के नारे लगाकर विरोध दर्ज कराया।
न्यायालयों में पूर्ण बहिष्कार, सहयोग का आग्रह
अभिभाषक संघ ने 24 नवंबर को सभी न्यायालयों में कार्य का बहिष्कार किया। संघ ने न्यायालयों से यह भी आग्रह किया कि अधिवक्ताओं की अनुपस्थिति के दौरान कोई विपरीत आदेश पारित न किया जाए। इस बहिष्कार का व्यापक प्रभाव सोमवार को पूरे उपखंड क्षेत्र में दिखाई दिया।
स्टांप वेंडर, डॉक्यूमेंट राइटर का भी बंद
अधिवक्ताओं के समर्थन में स्टांप वेंडर, डॉक्यूमेंट राइटर ने भी पूर्ण बंद का ऐलान किया। इससे न्यायिक व संबंधित कार्य पूरे दिन प्रभावित रहे।
कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन उग्र होगा
अभिभाषक संघ ने कहा है कि अगर जल्द आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं की गई और पुलिस ने अपनी निष्क्रियता नहीं छोड़ी, तो आगामी दिनों में आंदोलन और अधिक उग्र किया जाएगा। फिलहाल पुलिस प्रशासन मामले की जांच जारी होने का दावा कर रहा है, लेकिन अधिवक्ताओं का कहना है कि “अब आश्वासन नहीं, कार्रवाई चाहिए।”