स्वास्थ्य देश की समृद्धि और विकास को निर्धारित करने में सबसे महत्वपूर्ण कारक होता है।

एक आईना भारत,  मोहन आलवाड़ा


जालोर। मानव जाति अपने इतिहास के सबसे कठिन और अभूतपूर्व दौर से गुजर रहीहै। शायद यह पहला अवसर है; जब पृथ्वी पर सबसे विकसित समझे जाने वाली मानव जाति अपने आप को घरों में कैद करने के लिए मजबूर हैं। मानव जाति स्वीकार करने को मजबूर है कि देश, राष्ट, भाषा, संस्कृति, धर्म, व्यवसाय, गरीब और अमीर की सीमाएं मानव निर्मित हैं; अन्यथा प्रकृति के समक्ष हम सभी समान और अंतर्निर्भर हैं। व्यक्तिगत स्वास्थ्य सामाजिक स्वास्थ्य से गहरे रूप से संबंधित है। स्वास्थ्य एक व्यक्तिगत विशेषाधिकार ना होकर सामाजिक आवश्यकता है जिससे हमारा जीवन, परिवार, समाज और देश सीधे रूप से प्रभावित होता है। स्वास्थ्य देश की समृद्धि और विकास को निर्धारित करने में सबसे महत्वपूर्ण कारक होता है। 30 जनवरी भारत के केरल राज्य में कोविड-19 पहला केस का दर्ज होना, 11 मार्च को विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस द्वारा कोविड-19 वैश्व्कि महामारी घोषित करना, 22 मार्च को जनता कर्फ्यू, उसके बाद 21 दिन का लॉकडाउन और इसके उपरांत भी कोविड-19 के मरीजों की संख्या में निरंतर प्रगति हमें स्वास्थ सेवाओं और विशेष रूप से सार्वजनिक क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति और उनकी आवश्यकताओं पर सोचने को मजबूर करती है। वैश्विक और राष्ट्रीय विपदाएँ राष्ट्रीय नेतृत्व को देश की व्यवस्थाओं को लाभकारी दृष्टिकोण की बजाय समाजवादी दृष्टिकोण से देखने को प्रेरित करती हैं क्योंकि इन परिस्थितियों में लोगों का स्वास्थ्य और उनकी सलामती सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है। यह विपदाएँ देश और दुनिया को आत्म मूल्यांकन करने और भविष्य की रणनीति बनाने का अवसर भी देती हैं।

- डॉ रमेश देवासी
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