एक आईना भारत सिरोही
लेख रचनाएं " पत्रकार हितेश रावल
ग्रामीण पत्रकार एक सजग प्रहरी बनकर गरीबों, मजदूरों , मजलूमों, असहायों की सेवा करता है किंतु इस प्रकार की सेवाएं देने वाले सेवकों का कोई नहीं होता, आखिर ऐसा खेल कब तक चलेगा,की एक सच्चे समाज सेवक को लोग कब तक गिरी हुई नजरों से देखा जाएगा। ग्रामीण पत्रकारिता करना मतलब अपनी जान को जोख़िम में डालना है एक निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकार से नफ़रत करने वालों की कमी नहीं है। जबकि सच्चाई यह है कि गांवों से जो भी नेता बनकर उभरा है उसको एक पत्रकार ने ही बनाया है यदि किसी सरकारी विभाग में मेहनत के बल पर किसी पद पर तैनाती यदि किसी को मिली है तो उसका नाम पत्रकार ही आगे बढ़ाने वाला है। जिसके बल पर लोग शादी तक में लड़की वालों को दहेज़ रूपी लोभ के हथियार से लूटते है। लेकिन कही एक पत्रकार ने उन्ही लोगों के कुछ गलत करने पर समाचार प्रकाशित किया तो उस पत्रकार से बड़ा उनका दुश्मन कानून की क़लम चलाने वाला अधिकारी नही है। जिसकी कलम से संबंधित व्यक्ति को सजा मिलती है। दोष तो केवल और केवल एक सच्ची पत्रकारिता करने वाले का ही माना जाता है। छुटभैय्ऐ नेताओं को पत्रकार ही जमीं से उठाकर आसमान तक पहुंचाता है। किंतु बड़े पद पर पहुंचे के बाद यही नेता पत्रकार के साथ साथ आम जन के उन लोगों को भी भूल जाते है जिनके वोटों से जनप्रतिनिधि कहलाने योग्य बनते है ग्राम पंचायत सदस्य चुनाव से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक किसी को बनाने में एक पत्रकार की अहम भूमिका होती है लेकिन पदवी व रुतबा हासिल होने के संबंधित व्यक्ति उस पत्रकार को जरूर भूल जाता है। जिसकी कलम की धार के उसे सफलता मिली होती है। गांवो में गरीबों हक़ कोटेदार मारे तो उसका पत्रकार दुश्मन, प्रधान सरपंच व जिला प्रशासन के विरुद्ध सच्चाई लिखे तो उसका पत्रकार दुश्मन ,किसी भी जनप्रतिनिधि के विरुद्ध सच को लेकर कलम चले तो उसका पत्रकार दुश्मन, शिक्षक समय से विद्यालय नही पहुंचे तो उसका पत्रकार दुश्मन, किसी सरकारी विभाग का कोई अधिकारी, कर्मचारी गलत या भ्रष्टाचारी करे तो सच लिखने वाला पत्रकार ऐसे लोगों का दुश्मन, राह चलते दादागिरी करने वालो के विरुद्ध कलम चलाने वालों का पत्रकार दुश्मन,सच तो ये है कि पत्रकोरों के दुश्मनों की कोई कमी नही है ओर जिसका आजतक कोई दुश्मन न हो सब छोड़ कर सच्चाई और ईमानदारी की कलम पकड़कर पत्रकारिता करने लगे सच कहता हूं दुश्मनों की कतारे लग जाएगी बिन बुलाए बिन बनाएं दुश्मनों की फ़ौज खड़ी हो जाएगी ये फ़ौज क्या क्या कर डालेगी मालूम नहीं। वैसे घटिया सोच का शिकार ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्र के पत्रकार होते है इन्ही को उक्त प्रकार कीसमस्याओं का सामना करना पड़ता है। सबसे जोखिम भरी पत्रकारिता ग्रामीण क्षेत्रों की है, लेकिन ये में देख रहा हू की अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों से कलम के सिपाई भी निकलते हैं, और अपनी कलम की पैनी धार से वार करने से नही चूकते और इन सिपाहियों को अंजाम की परवाह नही रहती। लेकिन कुछ चमचाबाज पत्रकार हैं जो अच्छे पत्रकोरों की साख मिट्टी में मिलाएं बैठे हैं। ऐसे पत्रकोरों को में न पसंद करता हू न इनसे कोई संबंध रखता हूँ, में तो माँ सरस्वती की कृपा से देश व समाज की सेवा करता हु। यही मुझे पसंद है। में उन पत्रकार बंधुओं को सदा नमन करता हूँ जो सच लिखने का जज्बा रखते हैं और सच्चे कलम के सिपाही हैं, वही मेरे आदर्श है। जय हिंद जय भारत
पत्रकार : हितेश कुमार रावल झाड़ोलीवीर (सिरोही ) राजस्थान