*मनोहर अपहरण मामला*
गहलोत सरकार के खिलाफ राजपुरोहित समाज ने खोला मोर्चा,17 मार्च को सुमेरपुर में देंगे धरना
सोशल मीडिया के माध्यम से 17 मार्च को भारी संख्या में सुमेरपुर आने के लिए कर रहे आव्हान
एक आईना भारत
खरोकडा :- पिछले पांच महिने से मनोहर अपहरण केस की सीबीआई जांच के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पीडित परिवार, जनप्रतिनिधि,सामाजिक संगठनो ने पत्र लिखकर सिफारिश कर रहे थे ।हाल ही में विधानसभा सत्र चल रहा है जिसमें सुमेरपुर विधायक जोराराम कुमावत व आहोर विधायक छगन सिंह राजपुरोहित ने मनोहर अपहरण केस की सीबीआई जांच का मामला विधानसभा में भी उठाया। पर मुख्यमंत्री सर्व समाज व जनप्रतिनिधियों की मांगो को अनदेखा पिछले पांच महिने से कर रहे हैं जिसको लेकर राजपुरोहित समाज में काफी रोष है अब आखिर कार राजपुरोहित व सर्व समाज ने गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है 17 मार्च को अपनी सीबीआई जांच की मांग को लेकर सुमेरपुर मे दोपहर 12 बजे से 4 बजे तक एक दिवसीय धरना- प्रदर्शन करेंगे। इस दौरान मुख्यमंत्री के नाम उपखंड अधिकारी को ज्ञापन भी सौंपा जायेगा। राजपुरोहित संघर्ष समिति की बैठक बुलाई गई थी जिसमें सभी सदस्यों से चर्चा की गई। इसमें पिछले पांच महिने से पत्र लिखकर कर मुख्यमंत्री को मनोहर अपहरण केस की सीबीआई जांच के लिए सिफारिश कर रहे थे लेकिन राज्य सरकार ने समाज व जनप्रतिनिधियों की मांग पर कोई पहल नहीं की है यही वजह है कि सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए जिले में आंदोलन करने की तैयारी में है इसी कडी में 17 मार्च को सुमेरपुर में विशाल धरना प्रदर्शन करेंगे ।सोशल मीडिया पर लोगों को आव्हान कर रहे हैं कि वो ज्यादा से ज्यादा संख्या में 17 मार्च को सुमेरपुर आये ।राजपुरोहित संघर्ष समिति ने सर्वसमाज के लोगो को 17 मार्च को सुमेरपुर में अपनी उपस्थित दर्ज कराने की अपील की हैं।
क्या है मनोहर अपहरण मामला
पाली जिले के नेतरा गांव का रहना वाला मनोहर अपहरण 23 नवंबर 2016 को हुआ था। मनोहर सुबह 6 बजे फालना कोचिंग क्लासेस में पढने गया था। स्कूल से पढाई करके 11.30 बजे वापस निकला था कि उसका बीच रास्ते में ही अपहरण हो जाता है उसके बाद नजदीक के सुमेरपुर थाने में एफ आई आर 152 दर्ज करवाई जाती हैं इस मामले को सर्वप्रथम उप अधीक्षक सुमेरपुर के नेतृत्व में जांच शुरु करते हैं अपहरणकर्ता ने 25 लाख की फिरौती की मांग भी करते हैं फिरौती को लेकर मौके पर पहुंचा भी जाता था। उसके बाद भी अपहरणकर्ता पुलिस और परिवार वालो को घूमराह करता रहता था आखिर में राजपुरोहित समाज व जनप्रतिनिधियों के दबाब के कारण जांच सीआईडी को सौंपी जाती है आज भी पुलिस के हाथ खाली है
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