मैं रहूं या ना रहूं मेरा पता रह जाएगा :- गंगवाल

एक आईना भारत

मैं रहूं या ना रहूं मेरा पता रह जाएगा  :- गंगवाल

सृजन सरिता काव्य संस्थान कुचामन के बैनर तले काव्य गोष्ठी आयोजित 

कवीयों ने चिर परिचित अंदाज में दी प्रस्तुतियां

कुचामन सिटी 

कुचामन सिटी:- कुचामन में साहित्य संस्था "सृजन-सरिता" के बैनर तले एक काव्य गोष्ठी का आयोजन श्री बालकृष्ण सारड़ा विकास भवन में हुआ, जिसमें स्थानीय व नावां से पधारे कवियों ने एक से बढ़कर एक रचनाओं की प्रस्तुति देकर खूब वाहवाही लूटी। सर्वप्रथम नावां से पधारे कविगण तुलसीराम राजस्थानी, सीताराम प्रजापत, मनोज गंगवाल व पत्रकार हितेश रारा का माल्यार्पण करके स्वागत किया गया। गोष्ठी में डॉ. दिलीप पारीक ने अपनी मीठी आवाज में "जाल बनाकर उलझा रहा हूं" गजल पेश करके खूब प्रंशसा पाई। डॉ. जयंत कुमार ने हास्य-व्यंग्य की रचना पेश की तो सीताराम प्रजापत ने राजस्थानी कविता "सुणज्यो राजनीति की चाल" प्रस्तुत करके सबका मन जीत लिया। कवि पवन फूलभाटी, मनोज भारद्वाज व शहबान जोया ने शायराना अंदाज में गजलें पेश की। मनोज गंगवाल ने अपने चिर-परिचित अंदाज में, किरने चुन लेगी मुझे जग खोजता रह जाएगा व  "एक गुटखा आदमी की  अर्थी उठवा देता है" कविता पेश की जमकर दाद बटोरी व वाह वाही पाई। दिलीप सिंह शेखावत ने अपने गीत "ये जिन्दगी क्या चीज है, मैं जान ना सका" कि शानदार प्रस्तुति दी। सरस्वती काव्य-कला मंच के अध्यक्ष तुलसीराम राजस्थानी ने अपनी गजल "जमानों कितरो बदनाम हो गयो" की प्रस्तुति देकर खूब वाहवाही लूटी। अजमल हुसैन मौलानी ने गजल "आईना देखकर तसल्ली हुई" पेश की। वरिष्ठ साहित्यकार गिरधारीसिंह राजावत ने राजस्थानी गीत "प्रेम आपसी गीयो कठै" की प्रस्तुति देकर सबका दिल जीत लिया। अंत में साहित्य सिरमौर नटवरलाल वक्ता ने "आज कवि कुछ तो लिख" की शानदार प्रस्तुति देकर खूब तालियां पाई। काव्य गोष्ठी का संचालन सुरेश वर्मा ने किया।
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