मुझको भी तो एक बार बस जन्म लेने दिया होता:-



मरूधर आईना/बम्बोर


मुझको भी तो एक बार बस जन्म लेने दिया होता:-

मेरा इस दुनिया में आना,सब को बहुत खटकता हैं
बेटा पाने की चाहत में,हर कोई यहाँ भटकता हैं
भारत माँ की हूँ मैं बेटी,सत्कार मेरा किया होता
मुझको भी तो एक बार बस जन्म लेने दिया होता

मैंने दुनिया दिखलाई है,मुझको बोझ समझते हैं
बन के बादल दुःखों का और, मुझ पर सभी गरजतें हैं
सारे घर को महका देती,मुझको गोद लिया होता
मुझको भी तो एक बार बस जन्म लेने दिया होता

सारी उम्र याद रखते,इतना साथ निभा लेती
तुम्हारी खुशियों के खातिर मैं,अपनी पलके भीगा लेती
समझकर अपनी जागीर मुझे,तुमने प्यार किया होता
मुझको भी तो एक बार बस जन्म लेने दिया होता

 झूठे मक्कार अपराधी सबको,अच्छा सबक सिखा देती
फांसी के उस फंदे पर मैं,उनका नाम लिखा देती
ज़माने ने मुझको भी तो,लड़ने का हक दिया होता
मुझको भी तो एक बार बस जन्म लेने दिया होता

पढ़ती-लिखती ऊंचाइयों पर,इतनी धाक जमा लेती
कामयाबी के उस चौखट पर,अपना नाम कमा लेती
समाजजन ने मुझको भी तो,शिक्षित होने दिया होता
मुझको भी तो एक बार बस जन्म लेने दिया होता

बन के चराग रौशनी का और,घर को रोशन कर देती
माता-पिता के दामन को,खुशियों से मैं भर देती
मुझ पर भी जो कुछ तुमने,ऐतबार किया होता
मुझको भी तो एक बार बस जन्म लेने दिया होता

गाँव शहर गली मोहल्ला,सबको नूर कर देती
समाज में फैली बुराइयों को,चकना चूर कर देती
मुझको भी जो स्वच्छता का,अवसर एक दिया होता
मुझको भी तो एक बार बस जन्म लेने दिया होता

बुरी नियत वाले सबको,हर संस्कार सीखा देती
मुझको जो कमजोर समझते,अपनी धार दिखा देती
मुझको भी जो कुछ अपना,रूप दिखाने दिया होता
मुझको भी तो एक बार बस जन्म लेने दिया होता

अपने बलबूते कर कुछ मैं,सच को साबित कर लेती
संघर्ष कर अत्याचार के खिलाफ,अपनी जीत कर लेती
अपनी हिफाजत के प्रति,जागरूक होने दिया होता
मुझको भी तो एक बार बस जन्म लेने दिया होता

बेटी बहन सास बहू,हर किरदार निभा लेती
रिश्तों की इन डोर से बंधकर,मैं घर की बढ़ा शोभा लेती 
मुझको भी संसार में आने का,अवसर एक दिया होता
मुझको भी तो एक बार बस जन्म लेने दिया होता
💐शायर हिमांशु सुथार💐
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