धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेते हैं भगवान - देवी ममता
गो चिकित्सालय के इंचार्जो ने गोहितार्थ भरा 51 हजार रुपये का मायरा
नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल के जयकारों से गूंजा पंडाल
सच्चे भाव से की गयी सेवा का फल अवश्य मिलता है- महामण्डलेश्वर
मरुधर आईना
नागौर। गो चिकित्सालय, नागौर में गोरक्षक स्व. राजाराम बिश्नोई की पुण्य स्मृति में आयोजित महामण्डलेश्वर कुशालगिरी महाराज के सानिध्य में गोहितार्थ विशाल भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर कथा वाचिका देवी ममता ने गजेन्द्र मोक्ष, वामन अवतार, राम जन्म और कृष्ण जन्म की कथा सुनाई। देवीजी ने कहा जब अमृत की प्राप्ति के लिए देवों व असुरों ने समुद्र मंथन शुरू किया तब भगवान ने कच्छप का अवतार लिया व अपने ऊपर मथनी को रखा, जिससे समुद्र का मंथन हुआ, समुद्र मंथन में 14 रत्न की प्राप्ति हुई थी। सबसे पहले हताहत विष निकला, जिससे सभी देव व असुर डर गए। तब उन्होंने भगवान शंकर को पुकारा। भगवान शंकर ने उक्त विष को ग्रहण किया, विष को गले में संग्रहित रखा तभी से भगवान शंकर नीलकंठ कहलाए। देवीजी ने भगवान विष्णु के भीन्न-भीन्न अवतारो के बारे में बताते हुए कहा कि जब-जब अत्याचार, अनाचार, अधर्म और पाप बढ़ता है, तो भगवान धरा पर अवतरित होते है। दैत्यराज महाराज बलि के अहंकार को चकनाचूर करने के लिए विष्णु ने वामन अवतार धरा, रावण के अत्याचारों का संहार करने के लिए भगवान राम ने अवतार लिया कंस के अत्याचारों से जब धरती पर चारों ओर त्राहि-त्राहि मच गई , अनाचार का साम्राज्य फैल गया तब भगवान श्रीकृष्ण ने देवकी के आठवें गर्भ के रूप मे ं जन्म लेकर कंस का संहार किया।
कथा के दौरान भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया। जैसे ही भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ तो पुरा पंडाल 'नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की' के जयकारों से गूंज उठा और श्रद्धालुओं ने जमकर नृत्य कर आनंद उठाया। भगवान श्री कृष्ण के वेश में नन्हे बालक के दर्शन के लिए लोग लालायित नजर आये। भगवान के जन्म की खुशी में महिलाएं पीले वस्त्र धारण करके आयी। चतुर्थ दिवस की कथा के प्रसंगानुसार 'वामन अवतार' 'राम दरबार' व 'भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव' की सुंदर मनमोहक सजीव झांकियों का प्रस्तुतिकरण दिया गया।
कथा के दौरान महामण्डलेश्वर ने आध्यात्मिक प्रवचन देते हुए बताया कि सच्चे भाव से सेवा करते है तो उसका फल अवश्य भगवान देता है। उन्होंने बताया कि गो चिकित्सालय की प्रथम नंदा कामधेनु की सेवा का प्रतिफल है कि आज यह गो चिकित्सालय इतना बड़ा वटवृक्ष बन पाया और देश ही नही विदेश में भी अपनी अलग पहचान बनाई है। उन्होंने कहा कि हम निःस्वार्थ भाव से किसी की भी सेवा करते है तो सेवा का भाव भगवान के द्वार तक जाता है और भगवान उसका प्रतिफल दोगुना कर लोटाते है।
कथा प्रभारी श्रवण सैन ने बताया कि चतुर्थ दिवस की कथा में गो चिकित्सालय नागौर व जोधपुर शाखा की इंचार्ज टीम द्वारा पीड़ित गोवंश हितार्थ 51 हजार रूपये का मायरा भरा। इसी दौरान सभी इंचार्जो को मंच पर साफा, माला पहनाकर व पुष्पवर्षा करके स्वागत सम्मान किया गया। मंगलसिंह राजपुरोहित, मेहराम जाट, कैलाश महाराज, संजय मोहता, हरकरण चौधरी, किशन राजपुरोहित, गोपाल अग्रवाल ने गोहितार्थ सहयोग किया इन सभी को व्यास पीठ की ओर से सम्मानित किया गया। कथा विश्राम के दौरान भागवतजी की आरती की गई जिसमें रामस्वरूप बिश्नोई, संत गोविंदराम महाराज, संत गिरधारीराम महाराज व संत शैतानपुरी महाराज उपस्थित रहे।
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