तीखे सवालों से है बचना तो पत्रकारों को बैठक में क्यों बुलाना

तीखे सवालों से है बचना तो पत्रकारों को बैठक में क्यों बुलाना 

पिंडवाड़ा थाने की शांति समिति बैठक से पत्रकारों को किया गया दरकिनार



पिंडवाड़ा-  पिंडवाड़ा थाना क्षेत्र में 4 सितम्बर गुरुवार शाम को बारावफात और आगामी गणेश विसर्जन पर्व को लेकर शांति समिति की बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में स्थानीय सीएलजी (सिटीजन लॉयजन ग्रुप) के सदस्यों के साथ-साथ विभिन्न गणमान्य नागरिकों को आमंत्रित किया गया, लेकिन स्थानीय पत्रकारों को इस बैठक की कोई जानकारी नहीं दी गई। स्थानीय पत्रकारों ने इस घटनाक्रम पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उनका कहना है कि यह कोई पहला अवसर नहीं है, जब उन्हें इस प्रकार की महत्वपूर्ण बैठकों से बाहर रखा गया हो। पत्रकारों का आरोप है कि थाने के आसूचना प्रभारी और अन्य संबंधित अधिकारी पत्रकारों को बैठक की सूचना देना जरूरी नहीं समझते हैं, जिससे मीडिया के अधिकारों की अनदेखी होती है।


पत्रकारों ने कहा कि शांति समिति की बैठकें न केवल सुरक्षा व्यवस्था और शांति बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होती हैं, बल्कि मीडिया का योगदान इस प्रक्रिया में पारदर्शिता और जनसंपर्क को बढ़ाने में अहम होता है। ऐसे में मीडिया को बैठक से बाहर रखना, न केवल सूचना के अधिकार का उल्लंघन है, बल्कि यह शांति समिति के उद्देश्य को भी कमजोर करता है। जब इस मामले में थाना अधिकारी भवानी सिंह राजावत से प्रतिक्रिया ली गई, तो उन्होंने कहा, "मैंने आसूचना प्रभारी कॉस्टेबल ऋषिकेश को निर्देश दिया था कि पत्रकारों को भी बैठक की सूचना दी जाए।" हालांकि, इस मामले में दोनों अधिकारियों के बीच जिम्मेदारी का टकराव दिखाई दिया, जिसमें हर कोई दूसरे पर आरोप लगाता हुआ नजर आया। तहसील पत्रकार संघ पिंडवाड़ा का कहना है कि यह स्थितियां मीडिया को उनके पेशेवर कर्तव्यों का पालन करने में बाधित करती हैं और इससे अधिकारियों की पारदर्शिता पर भी सवाल उठते हैं।

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