भैंसवाड़ा पुलिया और माधोपुरा सड़क विवाद
चार दिन से जारी आमरण अनशन समाप्त, विधायक ने दिलाया आश्वासन
जालोर/आहोर (गजेंद्र गहलोत)। भैंसवाड़ा पुलिया और माधोपुरा की जर्जर सड़कों को लेकर पिछले चार दिनों से चल रहा आमरण अनशन और धरना शुक्रवार को समाप्त हो गया। ग्रामीणों के संघर्ष और आक्रोश को देखते हुए विधायक छगन सिंह राजपुरोहित, उपखंड अधिकारी साँवरमल रेगर और थानाधिकारी करण सिंह धरनास्थल पर पहुंचे। तीनों अनशनरत युवकों को जूस पिलाकर अनशन तुड़वाया गया।
ग्रामीणों का संघर्ष
भैंसवाड़ा में 90 लाख रुपये की लागत से बन रही पुलिया और माधोपुरा की टूटी–फूटी सड़कों को लेकर ग्रामीणों ने पांच दिन पहले आंदोलन शुरू किया था। पहले दिन ग्रामीणों ने माधोपुरा की टूटी सड़को से परेशान होकर हाइवे जाम किया जिसके बाद उपखण्ड कार्यालय जाकर ज्ञापन दिया, परन्तु समाधान और आश्वासन से नाखुश जनता ने धरने की अनुमति मांगते हुए, अगले दिन धरना शुरू कर दिया, तीसरे दिन तीन युवकों ने आमरण अनशन शुरू किया, जिससे मामला गंभीर हो गया।धरने के लिए प्रशासन ने अनुमति नहीं दी थी, बावजूद इसके ग्रामीण डटे रहे। बाद में दबाव में अनुमति मिली, हालांकि अनशन की अनुमति नहीं दी गई।
विधायक और प्रशासन की पहल
शुक्रवार को विधायक राजपुरोहित ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों से संवाद किया और भरोसा दिलाया कि सरकार उनकी सभी वाजिब मांगों पर गंभीर है। उन्होंने मौके पर मौजूद एईएन कैलाश जिनगर को आदेश दिए कि पुलिया का अधूरा कार्य शीघ्र गुणवत्ता के साथ पूरा किया जाए और माधोपुरा की टूटी सड़कों की मरम्मत व नया निर्माण कार्य तुरंत शुरू हो। विधायक ने आदेश देते हुए माधोपुरा की सड़को को दुरस्त करने का कार्य तुरंत शुरू कर दिया।
अनशन का अंत
चार दिन से भूखे-प्यासे बैठे तीनों युवकों नरेश माली, अचलेश्वर राणा और प्रवीण माली को विधायक और अधिकारियों ने जूस पिलाकर अनशन तुड़वाया। इस दौरान ग्रामीणों ने राहत की सांस ली और उम्मीद जताई कि अब उनकी समस्याओं का स्थायी समाधान होगा।
ग्रामीणों की मुख्य मांगें :
- 1. भैंसवाड़ा पुलिया का गुणवत्तापूर्ण निर्माण कार्य पूरा हो।
- 2. माधोपुरा की टूटी सड़कों की मरम्मत और नया निर्माण हो।
- 3. भैसवाड़ा मे सीसी रोड, जो सिवरेज लगवाई जा रही है उसका पानी भैसवाड़ा मे नहीं आना चाहिए।
- 4. पिपलेश्वर जी जाने वाला मार्ग (बाईपास), भैसवाड़ा, शमशान, भीलो की ढाणी की सडके सही की जाये।
- 5. भैसवाड़ा मे बस स्टैंड की व्यवस्था और बस को रुकने के सुचारु आदेश।
सवालों के घेरे में विकास कार्य
ग्रामीणों का आरोप है कि 90 लाख रुपये खर्च होने के बावजूद पुलिया पर खड़ा होना भी खतरे से खाली नहीं है। वैसे विधायक छगन सिंह राजपुरोहित ने पुलिए की लागत के विषय मे चर्चा करते हुए बताया की इसकी लागत का जीएसटी, सहित अन्य खर्च लगते हुए ठेकेदार को केवल 57 लाख रूपये मिलेंगे जिसमे से अभी तक केवल 25 लाख का निवेश हुआ है ज़ब कार्य पूर्ण होगा तब यह मजबूत होगा।बरसात में पुल दरारों और गड्ढों से भर जाता है। वहीं, वर्षों से टूटी पड़ी सड़कों पर प्रशासन ध्यान नहीं देता, जबकि यह मार्ग सैकड़ों लोगों की रोजमर्रा की आवाजाही से जुड़ा है।गुस्साए ग्रामीणों ने कहा कि “करोड़ों खर्च घटिया पुल पर कर दिए जाते हैं, लेकिन आमजन के लिए जरूरी सड़कों की सुध नहीं ली जाती। विकास कार्य सिर्फ कागजों तक सीमित रह गए हैं।”
संघर्ष का परिणाम या अस्थायी राहत?
धरना और अनशन खत्म हो चुका है, लेकिन ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि आश्वासन के बाद भी काम अधूरा रहा या गुणवत्ता में कमी बरती गई, तो वे फिर से आंदोलन शुरू करने को मजबूर होंगे।फिलहाल आंदोलन समाप्त हुआ है, पर निगाहें अब इस बात पर हैं कि विधायक और प्रशासन के आश्वासन कितनी जल्दी धरातल पर उतरते हैं।