निगम पर 80 लाख बकाया, ठेकेदार बोला– “सुसाइड की कंडीशन आ गई”
प्रभारी मंत्री झाबर सिंह खर्रा के सामने फूट पड़ा ठेकेदार का दर्द; बोला— “2 साल से चक्कर काट रहा हूं, काम ब्याज पर कर रहा हूं, अब मरने के अलावा कोई विकल्प नहीं”
पाली। नगर निगम पाली पर 80 लाख रुपये बकाया होने का आरोप लगाकर ठेकेदार राकेश गहलोत ने शनिवार को जिला परिषद परिसर में प्रभारी मंत्री झाबर सिंह खर्रा के सामने अपनी पीड़ा बयां की। ठेकेदार ने आरोप लगाया कि भुगतान नहीं मिलने के कारण वह मानसिक रूप से टूट चुका है और “सुसाइड की कंडीशन” तक पहुंच गया है। जिला परिषद के बाहर मंत्री खर्रा से मिलकर राकेश ने कहा— “मेरे 80 लाख रुपए निगम पर बकाया हैं। 2 साल से ऑफिस के चक्कर काट रहा हूं। ब्याज पर पैसा लेकर काम किया, अब लोग मेरे पीछे पड़े हैं। अगर भुगतान नहीं हुआ तो मैं आत्महत्या कर लूंगा… मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा।” उसकी इस भावुक अपील पर मंत्री खर्रा ने आश्वासन दिया कि उसकी समस्या का जल्द समाधान करवाया जाएगा। अतिवृष्टि के दौरान लगाया था 18 मड पंप, कहा— टेंडर से अधिक काम करवाया गया राकेश गहलोत ने बताया कि वर्ष 2024 और 2025 में पाली शहर में अतिवृष्टि के दौरान मोहल्लों में भरे बरसाती जल की निकासी के लिए उसने टेंडर लिया था।
वर्ष 2024 का टेंडर: ₹9.5 लाख, अधिकारियों और कलेक्टर के कहने पर: टेंडर से कई गुना अधिक कार्य
राकेश का कहना है कि उसने समय रहते निगम को सूचित कर दिया था कि टेंडर की राशि खत्म हो गई है और वह अधिक काम करने में सक्षम नहीं है, लेकिन निगम अधिकारियों और जिला प्रशासन के मौखिक आदेश पर उससे अतिरिक्त काम करवा लिया गया। “मुझे ब्लैकलिस्ट करने की धमकी देते हैं” ठेकेदार ने मंत्री के सामने यह भी कहा कि भुगतान मांगने पर उसे ब्लैकलिस्ट करने की धमकियाँ मिलती हैं। उसने कहा— “मैं रोज ऑफिस जाता हूं, लेकिन सिर्फ आश्वासन मिलता है। 47 लाख पिछले वर्ष के और 30 लाख इस वर्ष के बकाया हैं। इतना बड़ा काम ब्याज पर पैसे लाकर किया है। अब लेबर और सप्लायर रोज पैसे मांग रहे हैं… मैं टूट चुका हूं।”
शपथ पत्र का मामला भी आया सामने
आयुक्त के अनुसार, राकेश ने इस वर्ष टेंडर में भाग लेते समय एक शपथ पत्र दिया था जिसमें लिखा था कि वह पिछले वर्ष के बकाया पैसे की मांग नहीं करेगा। इसके बावजूद निगम का कहना है कि नीतिगत निर्णय लेकर जो भी वैध भुगतान होगा, उसे जारी किया जाएगा। निगम आयुक्त बोले— “60 लाख का वैरिफिकेशन हुआ, बजट आता ही करेंगे भुगतान” नगर निगम आयुक्त नवीन भारद्वाज ने कहा— राकेश ने पिछले साल मड पंप का टेंडर लिया था इस वर्ष का टेंडर लगभग ₹30 लाख का था उसका कुछ भुगतान कर दिया गया है बकाया का वैरिफिकेशन 60 लाख का हुआ है राज्य सरकार से बजट आते ही भुगतान किया जाएगा उन्होंने कहा कि “सुसाइड की बात” मामले में पुलिस देखेगी।
ठेकेदार बोला— “घर जाऊंगा और सुसाइड कर लूंगा”
जिला परिषद के बाहर उपस्थित अफसर और जनप्रतिनिधि उस समय स्तब्ध रह गए, जब राकेश ने मंत्री के सामने कहा— “अगर आज मेरी समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो मैं घर जाकर सुसाइड कर लूंगा, क्योंकि मैं अब और दिमागी व आर्थिक दबाव नहीं झेल सकता।” नगर निगम–ठेकेदार विवाद फिर चर्चा में इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर उजागर कर दिया है कि— अतिवृष्टि के कामों में वैलिडेशन और भुगतान को लेकर बड़े विवाद होते हैं निगम और ठेकेदारों के बीच अक्सर टेंडर से अधिक काम और भुगतान में देरी के मामले सामने आते हैं प्रशासनिक स्तर पर निर्णय में देरी से ठेकेदार आर्थिक दबाव में आ जाते हैं
अब मंत्री के निर्देशों का इंतजार
प्रभारी मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने आश्वासन दिया है कि— पूरे मामले की जांच होगी बकाया भुगतान पर जल्दी निर्णय किया जाएगा किसी मासूम पर “अत्याधिक दबाव” न बढ़े, इसकी जिम्मेदारी विभाग की है अब देखना होगा कि निगम और जिला प्रशासन इस संवेदनशील मामले में कितना त्वरित निर्णय लेता है।