प्रभारी मंत्री ने मीडिया के सामने किसानों से वार्ता से किया इनकार

प्रभारी मंत्री ने मीडिया के सामने किसानों से वार्ता से किया इनकार

ज्ञापन लेकर बिना बातचीत लौटे, किसान बोले— बंद कमरे की नहीं, सार्वजनिक संवाद की जरूरत

जालोर (उजीर सिलावट)।
राजस्थान में भाजपा सरकार के दो वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर शनिवार को जालोर पहुंचे जिले के प्रभारी मंत्री के.के. विश्नोई विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने सड़क सुरक्षा को लेकर शपथ दिलाई, विकास रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया तथा प्रेस वार्ता को संबोधित किया। हालांकि किसानों से वार्ता को लेकर प्रभारी मंत्री का रवैया पूरे दिन चर्चा का विषय बना रहा।

प्रेस वार्ता के उपरांत भारतीय किसान संघ के बैनर तले अपनी विभिन्न मांगों को लेकर पहुंचे किसानों को प्रभारी मंत्री द्वारा कलेक्ट्रेट सभागार में वार्ता के लिए आमंत्रित किया गया। किसान प्रतिनिधि अपने साथ मीडिया को भी लेकर सभागार पहुंचे। मीडिया की उपस्थिति देखते ही प्रभारी मंत्री ने स्पष्ट किया कि वे मीडिया के सामने किसानों से बातचीत नहीं करेंगे और केवल 4–5 किसानों को ही बंद कमरे में चर्चा के लिए बुलाया जाएगा।

इस पर किसानों ने एक स्वर में बंद कमरे में वार्ता से इनकार करते हुए कहा कि उनकी मांगें जनहित से जुड़ी हैं और बातचीत सार्वजनिक रूप से तथा मीडिया की मौजूदगी में ही होनी चाहिए। किसानों के इस रुख के बाद प्रभारी मंत्री सभागार छोड़कर कलेक्टर चैंबर की ओर चले गए। इस दौरान आहोर विधायक छगन सिंह ने किसानों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन किसान अपने निर्णय पर अडिग रहे।

कुछ समय बाद प्रभारी मंत्री पुनः सभागार में पहुंचे और किसानों से पूछा कि वे मंत्री से बात करना चाहते हैं या मीडिया से। किसानों ने दो टूक जवाब देते हुए कहा कि जो भी संवाद होगा, वह सार्वजनिक होगा। अंततः प्रभारी मंत्री किसानों का ज्ञापन लेकर यह कहते हुए रवाना हो गए कि 5 से 7 दिन में इस पर जवाब दिया जाएगा, लेकिन किसानों से किसी प्रकार की वार्ता नहीं की गई। इसके बाद प्रभारी मंत्री के.के. विश्नोई, मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग और आहोर विधायक किसानों को वहीं छोड़कर चले गए।

जवाई बांध के पानी को लेकर नाराज किसान

किसानों का आरोप है कि जवाई बांध से जालोर जिले के हक का पानी जोधपुर ले जाने के लिए 2280 करोड़ रुपये का टेंडर किया जा रहा है। जबकि इससे पहले किसान करीब 27 दिनों तक जिला कलेक्ट्रेट के सामने महापड़ाव डालकर आंदोलन कर चुके हैं, तब सरकार ने इस योजना को रोकने का आश्वासन दिया था। किसानों का कहना है कि आश्वासन के बावजूद सरकार ने अंदरखाने सर्वे और टेंडर प्रक्रिया को आगे बढ़ा दिया है।

भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष रतन सिंह कानीवाड़ा ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार सात दिनों के भीतर सकारात्मक निर्णय नहीं लेती है, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा, जिसकी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।

प्रेस वार्ता में मुख्य सचेतक की नींद बनी चर्चा

प्रभारी मंत्री की प्रेस वार्ता के दौरान एक और दृश्य चर्चा में रहा। मंत्री के पास बैठे जालोर विधायक व मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग प्रेस वार्ता के दौरान नींद लेते नजर आए, जिसे लेकर राजनीतिक और मीडिया हलकों में चर्चाएं होती रहीं।

सरकारी अस्पतालों पर सवाल, जवाब में सांचौर को बताया मेडिकल हब

प्रेस वार्ता के दौरान मीडिया ने जालोर जिले के सरकारी अस्पतालों की बदहाल स्थिति और मरीजों को पाली रेफर किए जाने को लेकर सवाल उठाए। इस पर प्रभारी मंत्री ने सीधे जवाब देने के बजाय सांचौर के निजी अस्पतालों की सराहना करते हुए उसे मेडिकल हब बताया। जब मीडिया ने सवाल किया कि गरीब मरीज निजी अस्पतालों में इलाज कैसे करवा पाएगा, तो मंत्री इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सके।

खुले संवाद से परहेज पर उठे सवाल

कुल मिलाकर प्रभारी मंत्री का जालोर दौरा सरकार की उपलब्धियों के प्रचार तक सीमित नजर आया। वहीं किसानों से खुले संवाद से परहेज, मीडिया के सामने वार्ता से इनकार और जनहित के मुद्दों पर स्पष्ट जवाब न मिलना कई सवाल खड़े कर गया। किसानों और आमजन में इस पूरे घटनाक्रम को लेकर असंतोष साफ तौर पर देखा गया।

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